हैदराबाद: हैदराबाद विश्वविद्यालय ने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में परिसर के भीतर रात नौ बजे के बाद 'शाहीन बाग नाइट' का आयोजन करने वाले तीन छात्रों पर कुल 15 हजार (पांच-पांच हजार प्रत्येक) रुपये का जुर्माना लगाया है। छात्र संघ ने इसकी आलोचना की है। विश्वविद्यालय सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय के 18 फरवरी के एक आदेश के तहत यह जुर्माना लगाया गया है। छात्रों ने 31 जनवरी को रात नौ बजे के बाद नॉर्थ शॉपिंग कॉम्पलेक्स में यह आयोजन किया था और वहां की दीवारों को भी कथित रूप से खराब कर दिया था।
आदेश में कहा गया है, ''छात्रों को कड़ी चेतावनी दी जाती है कि वे सचेत रहें और भविष्य में अपनी शिक्षा पर ध्यान दें। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति या अनुशासनहीनता में लिप्त पाए जाने का उनके शैक्षणिक करियर पर बेहद खराब प्रभाव होगा और उनके खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।" विश्वविद्यालय के कदम का विरोध करते हुए छात्र संघ ने एक बयान में कहा कि यह आदेश या सर्कुलर मनमाना है और वे इसका पालन नहीं करेंगे। उसने छात्रों पर लगे जुर्माने को बिना शर्त वापस लेने की मांग की है।
सीएए विरोधी नाटक: स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राष्ट्रद्रोह मामले को न्यायालय में चुनौती
वहीं दूसरी ओर, कर्नाटक के एक स्कूल में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में छात्रों को कथित रूप से नाटक की अनुमति देने के मामले में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किये जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। इस नाटक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कथित रूप से गलत छवि पेश की गयी थी। सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने बृहस्पतिवार (20 फरवरी) को यह याचिका दायर की है।
याचिका में बीदर जिले के शाहीन स्कूल के प्रधानाचार्य और दूसरे कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। इन सभी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए (राष्ट्रद्रोह) और धारा 153-ए(विभिन्न समूहों में कटुता पैदा करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। याचिका में राष्ट्रद्रोह के कानून का सरकार द्वारा कथित दुरुपयोग किए जाने से निबटने के लिये उचित व्यवस्था करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
भयाना ने अपनी याचिका में स्कूल प्रबंधन, शिक्षकों और अन्य के खिलाफ दर्ज राष्ट्रद्रोह का मामला निरस्त करने का केन्द्र और कर्नाटक सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया है। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने छात्रों से भी पूछताछ की है। पुलिस द्वारा छात्रों से बातचीत करने संबंधी सीसीटीवी के वीडियो तथा स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर आने के बाद इसकी आलोचना हुयी है।