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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार को बड़ी राहत मिली है। बिहार सरकार द्वारा पूरे राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने के फैसले के खिलाफ लगी याचिकाओं पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने और कानून के अनुसार, उचित उपाय खोजने की स्वतंत्रता है। इसी के साथ अब बिहार में जातिगत जनगणना कराना जारी रह सकेगा।

हाई कोर्ट जाने की सलाह

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि याचिकाएं विचार करने योग्य नहीं है और याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक प्रचार हित याचिका है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हम विशेष जाति को कितना आरक्षण दिया जाना चाहिए, इस बारे में निर्देश कैसे जारी कर सकते हैं।

नई दिल्‍ली: केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई) को नौकरी के लिए भूखंड घोटाला मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की केंद्र से इजाजत मिल गई है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि एजेंसी ने शुक्रवार को एक विशेष अदालत के समक्ष मंजूरी के बारे में बताया। एजेंसी द्वारा दायर चार्जशीट का संज्ञान लेने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मुकदमा चलाने की मंजूरी विशेष अदालत के लिए एक शर्त है। सीबीआई ने इस मामले में पिछले साल 7 अक्‍टूबर को लालू यादव, उनकी पत्‍नी राबड़ी देवी और 14 अन्‍य के खिलाफ रेलवे में उनके परिवार को उपहार में दी गई या बेची गई भूमि के बदले में की गई कथित नियुक्तियों के संबंध में चार्जशीट दायर की थी। हालांकि, आरोप पत्र का संज्ञान लिया जाना लंबित था।

सीबीआई की विशेष अदालत में दाखिल चार्ज शीट में जांच एजेंसी ने लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती, मध्य रेलवे की पूर्व महाप्रबंधक सौम्या राघवन, रेलवे के पूर्व सीपीओ कमल दीप मैनराई, स्थानापन्न के रूप में नियुक्त सात प्रतिभागियों और चार निजी व्यक्तियों को भी नामजद किया है।

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत सर्वे को स्थगित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका पर कहा कि ये उनकी समझ से परे है क्योंकि ये सबके विकास के लिए है। उन्होंने कहा कि याचिका का कोई औचित्य ही नहीं है। हम जनगणना नहीं करा रहे हैं हम जाति आधारित गणना करा रहे हैं। हम तो चाहते थे कि देश में भी जाति आधारित जनगणना हो लेकिन, केंद्र सरकार ने इससे इंकार कर दिया। केंद्र सरकार ने हमें परमिशन दिया है कि हम जाति आधारित गणना करा सकते हैं। इससे राज्य में आर्थिक और सामाजिक स्थिति पता चल जाएगा और उसके मुताबिक विकास किया जा सकेगा।

हालांकि केंद्र सरकार ने इससे पहले भी जाति आधारित जनगणना की थी, लेकिन उसे जारी नहीं कर पाए थे। उसमें कई गलतियां रह गई थी। लेकिन इसबार हम लोग काफी बेहतर तैयारी से कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार के सभी दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। बताते चलें कि बिहार में जातिगत गणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जातिगत गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

पटना: बिहार में आज से जातिगत जनगणना का काम शुरू हो गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के उद्देश्य को लेकर बताते हुए कहा कि शुरू से हमारी मांग रही थी कि पूरे देश में जातिगत जनगणना की जाए। इससे सभी के बारे में जानकारी हो सकेगी कि किसकी क्या स्थिति है। फिर उसके हिसाब से सभी के लिए काम किए जाएगा। बिहार के सभी दलों ने मिलकर निर्णय लिया कि जातिगत जनगणना की जाए। इसके बाद सभी दलों के नेता प्रधानमंत्री से मिलने गए मगर उन्होंने कह दिया कि केंद्र जातिगत जनगणना नहीं कराएगी, राज्य चाहे तो करा ले।

नीतीश कुमार ने कहा कि चूंकि राज्य जनगणना नहीं कर सकता, इसलिए जाति आधारित जनगणना की जा रही है। इस पर सभी दलों के नेता बैठे और चर्चा की। अधिकारियों को ट्रेनिंग तक दिया गया है। इस काम के लिए काफी संख्या में कर्मचारियों को लगाया गया है। कोशिश यह है कि सही आकलन हो। कई बार लोग जाति पूछने पर उपजाति बता देते हैं। इसके लिए बताया गया है कि पड़ोस के लोगों से भी पता करें कि आंकड़े सही हैं या गलत।

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