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गया: शराबबंदी पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला है। शुक्रवार को जिले के फतेहपुर और मानपुर में निजी कार्यक्रम में शामिल होने आए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार अगर शराबबंदी चाहते हैं, तो यहां चल रही फैक्ट्रियां बंद कराएं। उन्होंने पूर्ण शराब बंदी पर व्यंग करते हुए कहा कि नीतीश जी अगर ईमानदारी से शराबबंदी करवाना चाहते तो, सबसे पहले बिहार में चल रही शराब की आठ फैक्ट्रियां बंद करवाते। बिहार में शराबबंदी के नाम पर ज्यादा पैसा देकर लोग शराब पी रहे हैं। मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार यहां बढ़े अपराध पर लगाम लगाने के बजाय उस पर पर्दा डाल रहे हैं। अब तो यहां देश का चौथा स्तंभ भी सुरक्षित नहीं है। महिलाएं और युवतियां दुष्कर्म की शिकार बन रही हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश जी के गृह क्षेत्र नालंदा में नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म का आरोपित विधायक छिपा रहा। लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। जब राजबल्लभ ने कोर्ट में समर्पण किया, तब पुलिस उसे गिरफ्तार करने का दावा करने लगी।

पटना: केंद्रीय मंत्रिमंडल में हाल में फेरबदल में स्मृति इरानी के महत्वपूर्ण मानव संसाधन मंत्रालय से वस्त्र मंत्रालय में भेजे जाने पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद के उनके प्रति हमदर्दी जतायी और कहा कि स्मृति एक ‘इन्नोसेंट महिला’ बताया। लालू ने शुक्रवार को कहा, ‘स्मृति ईरानी ‘इन्नोसेंट महिला’ है जिसने अपने पूर्व के मंत्रालय मानव संसाधन विभाग में कुछ अच्छे काम किये।’ उन्होंने यह भी कहा कि वे (स्मृति) बाद में अपने मुख्य कार्यों की कीमत पर अन्य चीजों को लेकर आक्रमक हो गयी थीं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में हाल में फेरबदल में जिस विभाग की मंत्री स्मृति बनायी गयी हैं, उसके बारे में लालू ने कहा ‘यह मंत्रालय डूब चुका है’। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल में हालांकि प्रधानमंत्री का क्षेत्राधिकार होता है। इसलिए स्मृति इस निर्णय के खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकती हैं। हालांकि उन्होंने भाजपा की पैतृक संस्था आरएसएस के खिलाफ प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि उसकी मंशा बहुत ही खतरनाक है और वह वर्तमान संसद को ‘संविधान सभा’ में परिवर्तित करना चाहती है ताकि मनुस्मृति पर आधारित नया संविधान तैयार करा सके। उन्होंने कहा ‘मोहन भागवत जब आरक्षण के विरोध में बोलते हैं तो वह उनके मुंह से गलती से नहीं निकलता। वह समझबूझकर ऐसा बोलते हैं। वह हमारे संविधान नहीं बल्कि मनु स्मृति को मानने वाले हैं।’

पटना: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व सचिव श्रीनिवास तिवारी को पुलिस ने मंगलवार की दोपहर जेल भेज दिया। कोतवाली थाने में कानूनी कार्रवाई पूरी करने के बाद श्रीनिवास को कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें बेउर जेल भेज दिया। इससे पहले श्रीनिवास से लंबी पूछताछ हुई। हालांकि पुलिस सूत्रों की मानें तो उन्होंने कुछ खास जानकारी नहीं दी है। श्रीनिवास को जब उनके हस्ताक्षर किए गए कागजात दिखाए गए तब उन्होंने चुप्पी साध ली। पुलिस ने उनसे पूछा किया ये हस्ताक्षर आपके ही हैं न? इस पर श्रीनिवास का जवाब था हां, ये सभी उनके द्वारा किए गए हस्ताक्षर हैं। इसके पहले भी पूर्व सचिव को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई थी, लेकिन तब उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था। पुलिस के मुताबिक, जरूरत पड़ने पर उनको रिमांड पर भी लिया जा सकता है। गौरतलब है कि सोमवार सुबह एसएसपी मनु महाराज ने पूर्व सचिव को गिरफ्तार कर लेने की पुष्टि की थी। श्रीनिवास के बाद अभी कई लोगों पर पुलिस की नजर है। कई ऐसे भी हैं, जो जांच के दायरे में आने के डर से फरार हैं। पुलिस को अब भी आठ-नौ लोगों की तलाश है, जिनसे पूछताछ की जानी है। मंगलवार को पुलिस टीम ने टॉपरों के घरों पर छापेमारी कर दी। न टॉपर मिले और न ही उनके परिजन पुलिस के हाथ लगे। सौरभ श्रेष्ठ के एक करीबी के घर भी पुलिस टीम गई थी, जहां उसके छिपे होने की बात का पता चला था।

पटना: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव को आज (मंगलवार) अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के तेवर के कारण पत्रकारों से बीचबचाव कर मान मनौव्वल करना पड़ा। दरअसल राष्ट्रीय जनता दल के 20 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में पार्टी दफ्तर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उस समय मंच पर बैठे तेजप्रताप यादव एक फोटोग्राफर से उसका कैमरा लेकर तस्वीरें ले रहे थे। उनके इस अंदाज की कुछ पत्रकारों ने मोबाइल से तस्वीरें ले लीं। तेजप्रताप को यह नागवार गुजरा। पहले उन्होंने एक पत्रकार को अपने कार्यकर्ता को भेजकर मंच पर बुलाया। नहीं आने पर फिर से बुलाया। उन्होंने फोटो डिलीट करने को कहा, लेकिन जब पत्रकार ने वह फोटो डिलीट करने से मना कर दिया तो वे मंच से माइक पर मानहानि का मुकदमा करने की धमकी देने लगे। लालू ने उन्हें शांत करने की कोशिश की। इसके बाद पत्रकारों ने उस कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी। तब लालू यादव ने मंच पर खड़े होकर सबको शांत कराया। इसके बाद पत्रकार मान गए। तब जाकर कार्यक्रम फिर शुरू हो पाया। हालांकि मंच पर लालू के दूसरे बेटे तेजस्वी यादव भी मौजूद थे लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा।

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