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नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 'नौकरी के बदले जमीन' (मनी लॉन्ड्रिंग) से संबंधित कथित घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से बृहस्पतिवार को यहां करीब पांच घंटे तक पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। राबड़ी पूर्वाह्न 11 बजे ईडी के कार्यालय पहुंचीं और वहां से शाम छह बजे बाहर निकलीं। इस बीच, वह दोपहर का भोजन करने एक घंटे के लिए बाहर निकलीं।

अभी यह पता नहीं चल पाया है कि क्या उन्हें दोबारा बुलाया गया है या नहीं। सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय जनता दल ;राजदद्ध प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी (68) के बयान धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज किए गए। संघीय एजेंसी ने इस मामले में पिछले कुछ माह में राबड़ी देवी के छोटे बेटे एवं बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और बेटी मीसा भारती, चंदा यादव और रागिनी यादव से भी पूछताछ की है। एजेंसी ने इस वर्ष मार्च में चंदा यादव, रागिनी यादव, हेमा यादव और राजद के पूर्व विधायक अबु दोजाना के ठिकानों पर पटना, फुलवारी शरीफ, दिल्ली.एनसीआर, रांची तथा मुंबई में छापे मारे थे।

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में फिल्म ‘द केरल स्टोरी‘ से बैन हटा लिया है। साथ ही तमिलनाडु सरकार को भी निर्देश दिया है कि सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों को सरकार पर्याप्त सुरक्षा दे। फिल्म निर्माता ने ये भी माना की 32 हजार महिलाओं का डेटा प्रमाणित नहीं है। निर्माता की ओर से कहा गया है कि वो 20 मई तक डिस्क्लेमर देंगे कि 32,000 महिलाओं के डेटा के लिए कोई प्रमाणिक सत्यापित डेटा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 मई शाम 5 बजे तक डिस्क्लेमर लगाना होगा कि 32,000 का आंकडे का कोई पुख्ता आधार नहीं है। कोर्ट ने निर्माता को ये आदेश भी दिया है कि डिस्क्लेमर दें कि ये फिल्म फिक्शन पर है।

बता दें कि ‘द केरल स्टोरी‘ के टीजर में ये दावा किया गया था कि केरल में 32 हजार महिलाओं का धर्म परिवर्तन किया गया और उन्हें आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन में भर्ती किया गया। उसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने डिस्क्लेमर लगाने के आदेश दिए हैं। इससे पहले बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठाए।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): बिहार में जातीय गणना को लेकर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। फिलहाल जातीय गणना नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार करते हुए जातीय गणना पर अंतरिम रोक हटाने से भी इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटना हाईकोर्ट 3 जुलाई को सुनवाई करेगा। बिहार सरकार हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखे। हम फिर 14 जुलाई को सुनवाई करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार की अर्जी पर सुनवाई के लिए नई बेंच का गठन किया गया है। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने मामले की सुनवाई की।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करने वाले दो जजों की बेंच में से एक जज जस्टिस संजय करोल ने खुद को मामले से अलग कर लिया था। जिसके बाद मामले को दोबारा चीफ जस्टिस को भेज दिया गया था ताकि नई बेंच का गठन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सर्वे कर बिहार सरकार लोगों की निजी डेटा को कैसे संरक्षित करेगी।

नई दिल्‍लीः सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल ने बुधवार को बिहार सरकार की ओर से दाखिल उस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें राज्य में उसके (बिहार सरकार) द्वारा की जा रही जातीय गणना पर रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति करोल को छह फरवरी 2023 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उससे पहले, वह पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वह कुछ संबंधित मुकदमों में पक्षकार थे, जिन पर पहले उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई थी।

शीर्ष अदालत की संबंधित पीठ ने इसके बाद याचिका को भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया, ताकि सुनवाई के लिए एक उपयुक्त पीठ का गठन किया जा सके। इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल थे। पटना उच्च न्यायालय के चार मई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा है कि जातीय गणना पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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