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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

पटना: बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने सदन में आज पारित बिहार मधनिषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक 2018 को थानों की कमाई का जरिया बनने वाला बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा है कि क्या वे स्वीकारते हैं कि उन्होंने पहले वाला क़ानून 'अहंकारवश' बनवाया था और वह ग़लत था। बिहार विधानसभा में पेश बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2018 को सदन ने आज विपक्ष की अनुपस्थिति में पारित कर दिया था।

बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2018 को मद्य निषेध एवं उत्पाद मंत्री बिजेंद्र यादव द्वारा पेश किए जाने के दौरान ही राजद सहित अन्य विपक्षी दल बिहार में सुखाड़ पर चर्चा कराने को अधिक महत्वपूर्ण बताते हुए इसपर चर्चा कराए जाने की मांग को लेकर सदन से वाकआउट कर गए थे । तेजस्वी ने बिहार विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा था कि क्या वे स्वीकारते हैं कि उन्होंने शराबबंदी को लेकर वर्ष 2016 में पारित कराया गया क़ानून 'अहंकारवश' बनवाया था और वह ग़लत था।

पटना: बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के दूसरे दिन बिहार मद्य निषेध और उत्पाद (संशोधन) विधेयक-2018 सदन में पेश किया गया। जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। कानून में संशोधन के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में बताया कि निर्दोषों को बचाने के उद्देश्य से संशोधन विधेयक लाया गया है। साथ उन्होंने शराबबंदी के फायदे, समाज में आये बदलाव और संशोधन की जरूरत के बारे में विस्तार से सरकार का पक्ष सदन में रखा।

उन्होंने कहा कि कानून को तार्किक तरीके से और धारदार बनाने के उद्देश्य से जरूरत को देखते हुए संशोधन किये जाने की आवश्यकता है। संशोधन के लिए लोक संवाद में भी जनता की बात सुनते हुए चर्चा की गयी। वहीं, विपक्ष ने वॉक आउट किया। सदन में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू होने से सबसे ज्यादा फायदा सूबे के दलित, गरीब-गुरबा, अनुसूचित जाति-जनजाति और हाशिये पर चले गये लोगों को हुआ। जो लोग शराब पीने का पैसा नहीं रहने पर घर के सामान भी बेच देते थे, शराबबंदी लागू होने से उनके बच्चे अच्छे कपड़े पहनने लगे।

पटना: पटना हाईकोर्ट ने पूरे राज्य में पॉलीथीन के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कारवाई करने का निर्देश दिया है। जस्टिस डॉ रवि रंजन की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस समस्या को सुलझाने के लिए आमलोगों को भी जागरूक बनाने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा है कि पॉलीथिन का इस्तेमाल करने से पूरी निकासी व्यवस्था चरमरा गई हैं। कोई भी ऐसी सड़क नहीं है, जहां सड़क पर सब्जी और फल नहीं बेचे जाते हो। कोर्ट इस मामले पर भी 31 अगस्त को सुनवाई करेगी।

साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि पॉलीथीन की वजह से बढ़ रहे प्रदूषण के लिए सिर्फ सरकार जिम्मेदार नहीं है। आमलोगों को भी पॉलीथिन के हानिकारक प्रभाव के संबंध में जागरूकता फैलानी होगी। साथ ही गया जिला प्रशासन ने इस मामले में कहा है कि बोधगया में पॉलीथीन ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बारे में भी पटना हाईकोर्ट ने गया जिला प्रशासन को बोधगया को पॉलीथिन फ्री जोन घोषित करने का निर्देश दिया है।

पटना: बिहार सरकार ने नौकरी में आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला किया है. अब राज्य सरकार अपनी सेवाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देगी। बता दें कि 5 जून 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ का फैसला आने तक एससी-एसटी को कानून के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण देने पर लगी रोक को हटा दिया था। अब जब तक संविधान पीठ इस मामले पर कोई फैसला नहीं ले लेती राज्य सरकार प्रमोशन में रिजर्वेशन दे सकती है।

ऐसे में बिहार सरकार का यह कदम 2019 चुनाव से पहले बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि उन पदोन्नतियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा जो पिछले दो वर्षों के दौरान वरीयता के आधार पर दी गई है। बता दें कि पदोन्निति में आरक्षण समाप्त करने के उच्च न्यायालय के फैसले के बाद अप्रैल 2016 में राज्य सरकार ने अधिसूचना संख्या 4800 जारी की थी। इसके वरीयता को आधार बनाकर पदोन्नति की कार्रवाई प्रारंभ की गई थी।

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