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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

पटना: मुज़फ्फरपुर में एक और शेल्टर होम का विवाद सामने आया है। शेल्टर होम से 11 महिलाएं और 4 बच्चे ग़ायब हैं। आरोप है कि 52 दिनों तक मामले को दबाया गया। एफआईआर दर्ज करने की अनुमति लेने का बहाना बनाकर वक्त बर्बाद किया गया। ये शेल्टर होम भी ब्रजेश ठाकुर के ही एनजीओ द्वारा चलाया जा रहा था। बृजेश ठाकुर के गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित एक स्वयं सहायता समूह के परिसर से 11 महिलाओं के लापता होने के बाद ठाकुर के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की गई है।

मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रहने वाली लड़कियों का मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न करने के मामले में ठाकुर न्यायिक हिरासत में है। महिला थाना प्रभारी ज्योति कुमारी ने बताया कि ठाकुर के गैर सरकारी संगठन सेवा संकल्प एवं विकास समिति के परिसर से स्वयं सहायता समूह की 11 महिलाओं के लापता होने के मामले में समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक देवेश कुमार शर्मा ने 30 जुलाई को ठाकुर के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज की है।

पटना: वाम दलों ने 2 अगस्त को बिहार बंद की तैयारी पूरी कर ली है। भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बंद को आरजेडी, हम, लोजस, कांग्रेस सहित दूसरी विपक्षी पार्टियों, जनसंगठनों, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं, आशाकर्मियों, ऑटो चालकों, दलित-गरीबों, छात्र-नौजवानों, मजदूर-किसानों सहित राज्य के सभी न्याय और अमन चैन पसंद जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है।

कुणाल ने कहा कि मुजफ्फरपुर की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है और इसको लेकर कल पूरा बिहार सड़कों पर उतरेगा और केंद्र की नरेंद्र मोदी और बिहार की नीतीश कुमार सरकार से जवाब मांगेगा। उन्होंने कहा कि जब सत्ता ही महिलाओं के बर्बर दमन और उत्पीड़न को प्रश्रय दे रही हैं तब महिलाओं के लिए समाज में कहां कोई जगह बच जाती है? उन्होंने कहा कि सरकार की तो पूरी कोशिश मामले को रफा-दफा करने की थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। बिहार बंद में जनता को आक्रोश दिखेगा।

पटना: बिहार के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखा है। उन्होंने राज्य में ऐसे सभी आश्रय घरों की निगरानी और दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इससे पहले, मुजफ्फरपुर बालिका गृह से रोज चौंकानेवाले खुलासे सामने आ रहे हैं। जिसके बाद यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह उन नाबालिग लड़कियों के साथ दरिंदगी की हदें पार की जाती थी।

लड़कियों ने जांचकर्ताओं को बताया कि उन्हें तीन मंजिला इमारत की छत पर ले जाया जाता था और जब वे उनकी यौन संबंधों की मांगों से इनकार करती थी तो उन्हें थप्पड़ मारा जाता था और उनके कपड़े उतार दिए जाते थे। यह बात उस वक्त सामने आयी जब सोमवार को एक टेलीविजन चैनल ने मानसिक तौर पर बीमार नाबालिग लड़की का बयान चलाया। महिला अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान उस लड़की ने इशारों में बताया- “मुझे छत पर ले जाया जाता था और जब हम उनकी मांगों को पूरा नहीं करते थे तो 'हेड सर' हमें थप्पड़ मारते थे और कपड़े उतारवा देते थे।”

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने के मामले में अंतिम सुनवाई बुधवार को जारी रहेगी। राज्य में 52 हजार शिक्षक नियमित हैं जबकि पंचायतों के जरिये भर्ती शिक्षकों की संख्या 3.7 लाख है। जस्टिस एएम सप्रे और यूयू ललित की पीठ के समक्ष मंगलवार को राज्य सरकार ने कहा कि शिक्षकों को समान वेतन देने से राज्य की आर्थिक हालत खराब हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए सरकार ने 2006 में इन शिक्षकों को पारिश्रमिक पर रखा था। अब इनकी और भर्ती नहीं की जा रही है, इस कैडर को चरणबद्ध तरीके समाप्त किया जा रहा है। इस पर पीठ ने सरकार से सवाल किया कि जब नियोजित शिक्षकों की योग्यता और अन्य शर्तें नियमित शिक्षकों के समान हैं तो उन्हें एक समान वेतन देने में क्या परेशानी है। सिर्फ इस बात पर उनकी भर्ती का स्रोत अलग है क्या सरकार उनके साथ यह भेदभाव कर सकती है।

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