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पटना: कई वर्षों के अंतराल के बाद सीपीआई ने पटना के गांधी मैदान में बृहस्पतिवार को 'भाजपा भगाओ, देश बचाओ रैली' का आयोजन किया। इस रैली में केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए विरोधी अधिकांश दलों के नेता जहां मौजूद थे, वहीं सीपीआई ने जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अपना चेहरा बनाकर पेश किया। इस रैली में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, शरद यादव, सीपीआई-एमएल के दीपांकर भट्टाचार्य, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, एनसीपी के डीपी त्रिपाठी और राजद के रामचंद्र पूर्वे सहित सीपीआई के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

कन्हैया ने अपने भाषण में राज्य सरकार से अधिक केंद्र सरकार पर अपना हमला जारी रखा। कन्हैया ने कहा कि केंद्र की सरकार जुमले वादियों की सरकार है और इसके खिलाफ संगठित होकर ही मुकाबला किया जा सकता है। उन्होंने भाजपा को याद दिलाया कि जिस श्रीकृष्ण सिंह की जयंती वह आज मना रहे हैं वे बिहार में कांग्रेस के कई दशकों तक कर्ताधर्ता थे। उन्होंने कहा कि लेकिन देखिए भाजपा की कथनी और करनी में फर्क, एक तरफ कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी के संस्थापक में से एक डॉक्टर श्रीकृष्ण सिंह की जयंती भी मनाते हैं।

कन्हैया ने बार-बार अपने भाषण में देश में बेरोज़गारी और किसानों की बदहाल स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि जहां एक और उद्योगपतियों का तीन लाख सोलह हजार करोड़ से अधिक का कर्ज़ माफ़ किया गया है, वहीं किसानों का पांच रुपये, दस रुपये और सौ रुपये कर्ज़ माफ़ किया जाता है।

हालांकि इस रैली में बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव नज़र नहीं आए लेकिन सभी नेताओं ने माना कि बिहार में नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ लड़ाई तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही लड़ी जाएगी। कन्हैया ने भी अपने भाषण में तेजस्वी यादव के हाल के संविधान बचाओ-देश बचाओ यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी रेली मैं जैसी भीड़ उमड़ रही है वह साफ़ दिखाती है कि लोग केंद्र और राज्य सरकार से परेशान हैं।

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