पटना: बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने कहा है कि 2019 लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर 'सम्मनजनक समझौता' हो चुका है और अब केवल उसकी औपचारिक घोषणा होना ही बाकी है। गौरतलब है कि कुछ हफ्ते पहले ही सीट बंटवारे के लिए भाजपा के प्रस्तावित फॉर्मूले पर उनकी पार्टी के नाखुशी जताई थी। रविवार को पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, 'सीट बंटवारे को लेकर भाजपा के साथ सम्मानजनक समझौते तक पहुंच चुके हैं। इसकी औपचारिक घोषणा बाद में की जाएगी।
समझौते के भाजपा के पहले ड्राफ्ट, जिसकी चर्चा पिछले महीने हो रही थी, उसके अनुसार भाजपा बिहार की 40 में से 20 सीटों पर चुनाव लड़ती। वर्तमान में बिहार में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास 31 सीटें हैं। 12 सीटें जेडीयू को मिलतीं, 6 रामविलास पासवान को और दो उपेंद्र कुशवाहा को। यहां तक कि भाजपा भी जानती थी कि इसे स्वीकार नहीं किया जाएगाजाएगा, एक जेडीयू नेता ने कहा था कि कायदे से दोनों पार्टियों के बीच बराबरी का बंटवारा होना चाहिए। दोनों पार्टियों को 17 सीटें मिलनी चाहिए और रामविलास पासवान को बची हुई 6 सीटें। जेडीयू नेता ने इशारों में कहा था कि उपेंद्र कुशवाहा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वो कई बार गठबंधन से अलग होने का इशारा कर चुके हैं।
उपेंद्र कुश्वाहा के 'खीर' बनाने के फॉर्मूले ने खासी सियासी हलचल मचाई थी। उन्होंने कहा था कि अगर यदुवंशियों मतलब यादव का दूध और कुशवंशी मतलब कुशवाहा उसमें चावल मिलाये तो दुनिया का सबसे स्वादिष्ट खीर तैयार होगा।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बिहार की 40 सीटों में से 22 पर जीत दर्ज की थी जबकि एनडीए ने 31 सीटें जीती थीं। तब जेडीयू ने 17 साल बाद भाजपा से नाता तोड़ा था और केवल 2 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी। 2015 में नीतीश कुमार ने कांग्रेस और लालू यादव की पार्टी जेडीयू के साथ गठबंधन किया और विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. उसके 20 महीने बाद ही वो भाजपा के साथ वापस आ गए। लेकिन राज्य की 40 सीटों का बंटवारा लगातार ही मुद्दा बना रहा और जुलाई में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह स्थिति का जायजा लेने पटना पहुंचे। जब 12 अगस्त की डेडलाइन तक कोई बात नहीं बनी तो जेडीयू ने रिमाइंडर भी जारी किया। पार्टी नेता केसी त्यागी ने कहा था, जेडीयू को पूरे दिल से चुनाव लड़ने के लिए मुद्दे पर स्पष्टता चाहिए।