नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर बाल आश्रय गृह में बलात्कार की खौफनाक घटनाओं को लेकर सर्वोच्च अदालत ने बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि आखिर क्यों नहीं इन बाल गृहों की जांच की गई। सर्वोच्च अदालत में मुजफ्फरपुर बाल गृह मामले की मंगलवार को सुनवाई चल रही थी जहां पर पिछले चार वर्षों के दौरान 30 से ज्यादा लड़कियों का बलात्कार, उत्पीड़न और शोषण किया गया। इस मामले में राजनीतिक रसूख वाले ब्रजेश ठाकुर के साथ ही करीब 10 लोगों कि इस मामले में अब तक गिरफ्तारी हो चुकी है। ब्रजेश ठाकुर की गैर सरकारी संस्था है जो कि कई बाल गृह चलाती है। शीर्ष अदालत ने सवाल किया है कि कौन है जो बिहार के शेल्टर होम में पैसा दे रहा है।
उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार की मुजफ्फरपुर आश्रय गृह चलाने वाले गैर सरकारी संगठन को राशि देने पर खिंचाई की जिसमे लड़कियों के साथ कथित तौर पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया। न्यायालय ने राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो का हवाला देते हुये कहा कि भारत में हर छह घंटे में एक महिला के साथ बलात्कार होता है। उच्चतम न्यायालय ने भारत में बलात्कार की घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा महिलाओं के साथ हर तरफ बलात्कार की घटनायें हो रही हैं।
इससे पहले, 2 अगस्त को शीर्ष अदालत के तरफ से मुजफ्फरपुर मामले को लेकर बिहार सरकार और केन्द्र को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया गया था। अदालत ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बिहार सरकार, महिला एवं बाल विभाग से पूछा था कि क्यों नहीं नाबालिग लड़कियों के साथ शेल्टर होम में यौन शोषण की घटना होने से रोका गया।