नई दिल्ली: केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अनिल माधव दवे नहीं रहे। 60 वर्षीय दवे ने आज (गुरूवार) सुबह अपने घर पर बेचैनी की शिकायत की और तब उन्हें एम्स ले जाया गया। वहां उनका निधन हो गया। वन और पयार्वरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि दवे का आज सुबह कोयम्बटूर जाने का कार्यक्रम था लेकिन इसी बीच उनकी तबीयत बिगड़ गयी और उन्हें तुरन्त अस्पताल ले जाना पड़ा। दवे 2009 से राज्यसभा सांसद थे। उन्होंने 2016 में पयार्वरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शपथ ली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, "मैं कल शाम को अनिल दवे जी के साथ था, उनके साथ नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था। उनका निधन मेरा निजी नुकसान है। उन्हें लोग जुझारू लोक सेवक के तौर पर याद रखेंगे। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वह काफी जुझारू थे।" मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के बरनागर गांव में 6 जुलाई, 1956 को जन्मे दवे ने अपनी आरंभिक शिक्षा गुजरात में हासिल की। उन्होंने इंदौर से ग्रामीण विकास एवं प्रबंधन में विशेषज्ञता के साथ वाणिज्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। वह कॉलेज के दिनों में एक छात्र नेता थे। मध्यप्रदेश से राज्यसभा के सांसद दवे पयार्वरण मंत्री बनने से पहले ही पयार्वरण संरक्षण के अभियान में काफी सक्रिय रहे थे।
नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए उन्होंने अपना एक संगठन बना रखा था। वह पयार्वरण के क्षेत्र में काफी अध्ययन करते थे और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते का भारत की ओर से अनुमोदन किये जाने में दवे ने अहम भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री की पयार्वरण से जुडी योजनाओं में वह एक प्रमुख नीतिकार और सलाहकार थे।