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इंदौर: विशेष अदालत ने सिमी सरगना सफदर हुसैन नागौरी समेत इस प्रतिबंधित संगठन के 11 कार्यकर्ताओं को देशद्रोह के नौ साल पुराने मुकदमे में आज (सोमवार) उम्रकैद की सजा सुनायी। अहमदाबाद की साबरमती केंद्रीय जेल में बंद 10 मुजरिमों की गुहार पर उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये फैसला सुनाया गया। विशेष अपर सत्र न्यायाधीश बीके पालोदा ने सभी 11 सिमी कार्यकर्ताओं को भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए (देशद्रोह ),153-ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता फैलाना और सौहार्द्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले काम करना),विधिविरद्ध क्रियाकलाप अधिनियम और अन्य सम्बद्ध कानूनों के तहत दोषी करार दिया। मुजरिमों में सफदर हुसैन नागौरी , हाफिज हुसैन आमिल परवाज , शिवली , कमरूद्दीन , शाहदुली , कामरान , अंसार , अहमद बेग ,यासीन और मुनरोज शामिल हैं। सरकारी वकील विमल मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया कि मुनरोज को छोड़कर शेष 10 मुजरिम अहमदाबाद के साबरमती केंद्रीय जेल में बंद हैं। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान उनकी गुहार के मुताबिक उन्हें फैसले के वक्त गुजरात की इस जेल से इंदौर नहीं लाया गया और उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अदालत के सामने पेश कर फैसला सुना दिया गया। मिश्रा ने बताया कि मुनरोज मामले में लम्बे समय से जमानत पर बाहर चल रहा था। वह फैसले के वक्त इंदौर की अदालत के सामने पेश हुआ। मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद उसे अदालत से शहर की केंद्रीय जेल भेज दिया गया।

मामले में मुजरिम करार दिये गये 11 सिमी कार्यकर्ताओं को इंदौर से 26 और 27 मार्च 2008 की दरम्यानी रात पिस्तौलों,कारतूसों, नकाबों और कथित भड़काउ साहित्य के साथ गिरफ्तार किया गया था। इनकी निशानदेही पर घातक विस्फोटक भी बरामद किये गये थे।

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