भोपाल: मध्य प्रदेश में जासूसी रैकेट का खुलासा हुआ है और पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के 11 के संदिग्ध एजेंट गिरफ्तार किए गए हैं। मध्य प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने आईएसआई के लिए जासूसी करने के शक में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन पर कॉल सेंटर की आड़ में सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को भेजने का आरोप है। एटीएस चीफ संजीव शमी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जासूसी रैकेट के बारे में खुलासा किया। एटीएस चीफ ने बताया कि अब तक ग्वालियर से 5, भोपाल से 3, जबलपुर से 2 और सतना से एक आरोपी की गिरफ्तारी की गई है। उन्होंने बताया कि इस पूरे रैकेट में निजी मोबाइल कंपनियों के कर्मचारियों की मिलीभगत के संकेत भी मिले हैं। ये भारत में पाक के लिए जासूसी करने वालों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराते थे। मध्य प्रदेश एटीएस के प्रमुख संजीव शमी ने बताया कि ये गिरोह पाक स्थित आकाओं के निर्देश पर सैन्य खुफिया जानकारी जुटाता था। जम्मू-कश्मीर में गत नवंबर में गिरफ्तार दो संदिग्ध जासूस इसी गिरोह से जुड़े थे। जानकारी के अनुसार, पकड़े गए आईएसआई के 11 जासूसों को वेतन भी मिलता था। भारत में 10-15 फीसदी पर हवाला कारोबार का काम करते थे ये जासूस। जासूसी के लिए आईएसआई से इन्हें 40 हजार रुपये की सैलरी मिलती थी। एटीएस से पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं।
गिरफ्तार किए गए इन जासूसों को कोर्ट में पेश किया जाएगा। संजीव शमी ने बताया कि पाक में बैठे आकाओं से संपर्क के लिए आरोपियों ने इंटरनेट के माध्यम से समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज भी बना रखा था। उन्होंने बताया कि इस पूरे रैकेट में निजी मोबाइल कंपनियों के कर्मचारियों की मिलीभगत के संकेत भी मिले है। बताया जा रहा है कि आरोपी कॉल सेंटर का संचालन करते थे। इसके जरिए नौकरी और लॉटरी की आड़ में सूचनाओं का लेन-देन किया जा रहा था। यूपी एटीएस ने हाल ही में दिल्ली के महरौली में ऐसा ही गिरोह पकड़ा था। पिछले साल जम्मू-कश्मीर में सुखविंदर और दादू नाम के दो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। इन दोनों से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ था कि देशद्रोही गतिविधियों में मध्य प्रदेश से मदद मुहैया कराई जा रही थी। इस इनपुट के आधार पर एटीएस ने 11 जासूसों को गिरफ्त में लिया है।