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मुंबई: छोटे पर्दे की बड़ी अभिनेत्री प्रत्यूषा बनर्जी की खुदकुशी पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि ये हत्या है या आत्महत्या। प्रत्यूषा के परिजनों ने मामले में जांच की मांग की है, वहीं प्रत्यूषा के साथी राहुल से दो दफे पूछताछ के बाद भी पुलिस को कुछ ठोस हासिल नहीं हुआ है। पोर्स्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्यूषा की मौत दम घुटने की वजह से हुई। बालिका वधू सीरियल से प्रत्यूषा को घर घर में पहचान मिली, झलक और बिग बॉस जैसे शोज में उनकी झलक दिखी। लेकिन करीबी कहते हैं, इन दिनों काम और आर्थिक बदहाली से वो परेशान थीं। फिर भी इतनी कमज़ोर नहीं थीं कि ख़ुदकुशी कर लें। झारखंड के जमशेदपुर की रहना वाली प्रत्यूषा ने कम उम्र में अपने लिए बड़ा मुकाम बना लिया था। एक साथी भी चुना था, पेशे से एक्टर प्रोड्यूसर राहुल राज सिंह। राहुल-प्रत्यूषा साथ ही रहते थे, उसने ही गोरेगांव के अपार्टमेंट से प्रत्यूषा को अस्पताल पहुंचाया। पुलिस राहुल का बयान दर्ज कर चुकी है। कुछ लोगों का कहना है कि राहुल से प्रत्यूषा के रिश्ते इन दिनों तल्ख थे, प्रत्यूषा के परिजनों ने खुदकुशी की जांच की मांग की है। लेकिन राहुल के माता-पिता का कहना है दोनों इस रिश्ते में खुश थे। प्रत्यूषा के घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, पुलिस फिलहाल प्रत्यूषा और राहुल के फोन रिकॉर्ड भी खंगाल रही है।

मुंबई: बंबई हाईकोर्ट ने आज (बुधवार) कहा कि कोई भी कानून महिलाओं को पूजास्थल पर प्रवेश से नहीं रोकता और अगर पुरुषों को अनुमति है तो महिलाओं को भी अनुमति मिलनी चाहिए। अदालत ने कहा कि अगर कोई मंदिर या व्यक्ति इस तरह का प्रतिबंध लगाता है तो उसे महाराष्ट्र के एक कानून के अंतर्गत छह महीने की जेल की सजा हो सकती है। मुख्य न्यायाधीश डीएच वाघेला और न्यायमूर्ति एमएस सोनक की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता नीलिमा वर्तक और सामाजिक कार्यकर्ता विद्या बल द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं। इस याचिका में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में शनि शिग्नापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को चुनौती दी गई थी। मुख्य न्यायाधीश वाघेला ने आज कहा, ‘‘ऐसा कोई कानून नहीं है जो महिलाओं को किसी स्थान पर जाने से रोके। अगर आप पुरूषांे को अनुमति देते हैं तो आपको महिलाओं को भी अनुमति देनी चाहिए। अगर एक पुरूष जा सकता है और मूर्ति के सामने पूजा कर सकता है तो महिलाएं क्यांे नहीं? महिलाओं के अधिकारांे का संरक्षण करना राज्य सरकार का कर्तव्य है।’’ अदालत ने कहा कि अगर आप भगवान की शुद्धता को लेकर चिंतित हैं तो सरकार को ऐसा कोई बयान देने दीजिए। महाराष्ट्र हिन्दू पूजास्थल :प्रवेश अधिकार: कानून 1956 के तहत अगर कोई मंदिर या व्यक्ति किसी व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश से रोकता है तो उसे छह महीने की सजा हो सकती है।

मुंबई: उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर अपने सहयोगी दल भाजपा की कड़ी आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा कि भाजपा ने नैतिकता के नाम पर 'लोकतंत्र का गला घोंट' दिया है। इसके साथ ही शिवसेना ने चेतावनी भी दी है कि इससे देश में अस्थिरता और अराजकता का माहौल पैदा हो सकता है। शिवसेना प्रमुख ने साथ ही कहा, 'उत्तराखंड में जो हो हुआ, वह शर्मनाक है, इस मुद्दे को लौकतांत्रिक तरीके से हल किया जाना चाहिए था।' उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा के साथ उसका गठबंधन 'अस्थायी है और यह राजनीतिक अनिवार्यता का नतीजा है', इस गठबंधन में 'नैतिकता या अनैतिकता का कोई सवाल नहीं है'। उत्तराखंड में सत्ताधारी कांग्रेस में विद्रोह के मद्देनजर संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए केंद्र ने रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। इस पर शिवसेना ने अपने पार्टी मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में आरोप लगाया, 'भाजपा ने उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए कांग्रेस के नौ बागी विधायकों का इस्तेमाल किया।' शिवसेना ने पूछा, 'अगर सरकार बहुमत खो चुकी थी तो फैसला राज्य विधानसभा में लिया जाना चाहिए था। राज्यपाल ने तो सरकार को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने का वक्त भी दिया था, लेकिन उससे एक ही दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। भाजपा ने इससे क्या हासिल कर लिया?'

मुंबई: मुंबई में 6 दिसंबर 2002 से 13 मार्च 2003 के बीच हुए 3 धमाकों के मामले में पोटा की विशेष अदालत ने मंगलवार को फैसला सुना दिया है। इस फैसले में कोर्ट ने 13 आरोपियों में से 10 को दोषी ठहराया है और तीन को बरी कर दिया है। इस आदेश में सजा पर कुछ नहीं कहा गया है। सजा का ऐलान बाद में किया जाएगा। आरोपी : मोहमद कामिल , नूर मोहम्मद अंसारी, अनवर अली को सिर्फ सिर्फ आर्म्स एक्ट में दोषी पाया गया है। आरोपी : गुलाम अकबर पोटा में दोषी , एक्सप्लोसिव में दोषी पाया गया है। आरोपी : फरहान मलिक पोटा सहित 5 आरोप में दोषी पाया गया है। आरोपी : डॉ वाहिद जब्बार अंसारी को पोटा सहित 4 धाराओं में दोषी पाया गया है। आरोपी : मुजम्मिल अख्तर अब्दुल अंसारी को पोटा सहित कुल 18 धाराओं में दोषी पाया गया है। आरोपी : नदीम पलवा, हारून रशीद लोहार, अदनान बिलाल मुल्ला -तीनो आरोपी बरी कर दिए गए हैं। पहला बम धमाका 6 दिसंबर 2002 को मुंबई सेन्ट्रल रेलवे स्टेशन पर मैकडोनल्ड में हुआ था । धमाके में 22 लोग जख्मी हुए। राजधानी एक्सप्रेस छूटने के कुछ मिनट पहले हुआ था यह धमाका।

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