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नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सूखे की स्थिति पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शब्दबाण चले और कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि संप्रग शासन के समय महाराष्ट्र में सिंचाई योजनाओं के धन का बंदरबांट हुआ है और इसकी सचाई सामने आनी चाहिए। प्रश्नकाल के दौरान कृषि मंत्री शिवसेना के एक सदस्य के उस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या मराठवाडा के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को राहत प्रदान की जायेगी। इसी दौरान कांग्रेस के कुछ सदस्य मंत्री से राहत प्रदान करने के बारे में बताने को कहा। राधा मोहन सिंह ने कहा कि मराठवाडा में सबसे अधिक बड़े बांध बनाये गए लेकिन इन बांधों का निर्माण चीनी मिलों के हितों के पोषण के लिए हुआ और किसानों को इसका लाभ नहीं पहुंचा, किसानों का हित नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए ताकि सचाई सामने आए। महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहां सिंचाई योजना के पैसे का बंदरबांट हुआ है। पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि पुरानी परिपाटी रही है कि राज्यों को देर से पैसा जारी किया जाता था। मनरेगा का पैसा राज्यों को देर से मिलता था। यह जुलाई-अगस्त के दौरान दिया जाता था।

मुंबई: अपनी सहयोगी भाजपा पर एक बार फिर निशाना साधते हुए शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'भगवान' बताने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की आलोचना की और चेतावनी दी कि 'भक्तगण' ही नेताओं को संकट में डालेंगे। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्हें 'भारत के लिए भगवान का वरदान' बताया था। मंत्रिमंडल के एक और नेता राधा मोहन सिंह ने भी मोदी की प्रशंसा करते हुए ऐसी ही बात कही थी। इस पर व्यंगात्मक लहजे में शिवसेना ने पूछा कि क्या भारत के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने रविवार को बढ़ते मामलों की संख्या देखते हुए न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की जो भावनात्मक अपील की उसे क्या मोदी सरकार की 'उपलब्धि' मानी जाए। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में कहा, 'भाजपा के वरिष्ठ नेता बयान जारी कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान के 'अवतार' हैं, चूंकि उन्हें भगवान बना दिया गया है तो उनके नाम से मंदिर भी बनेगा और उनके नाम से त्योहार भी मनेगा। अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनाया जा सकता, लेकिन इस नए भगवान के नाम से 'श्लोक' पढ़े जाएंगे।' इसने कहा कि बीजेपी को याद रखना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विज्ञापनों पर काफी धन खर्च किया था, लेकिन 1975-77 के चुनाव के बाद सत्ता से बाहर हो गईं।

मुंबई: महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट मामले के सभी 9 मुस्लिम आरोपियों को मुंबई की विशेष अदालत ने सोमवार को बरी कर दिया है। इनमें से एक आरोपी की पहले ही मौत हो चुकी है जबकि 6 को 2011 में जमानत दे दी गई थी। 2 आरोपी (आसिफ व मोहम्मद अली) मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले को लेकर अभी भी जेल में हैं। विशेष मकोका कोर्ट में जस्टिस वीवी पाटिल की अध्यक्षता वाली पीठ ने नुरूल हुदा, रईस अहमद, सलमान फारसी, फारूक मगदुमी, शेख मोहम्मद अली, आसिफ खान, मोहम्मद जाहिद और अबरार अहमद को बरी कर दिया। इसके अलावा कुछ महीने पहले दुर्घटना में मारे गए शब्बीर अहमद को भी आरोपमुक्त कर दिया गया। 9 आरोपियों में से छह मालेगांव और 3 मुंबई के रहने वाले हैं। इनमें से अधिकतर रिश्तेदार हैं। क्या था मामला 8 सितंबर, 2006 को मालेगांव में एक मस्जिद, कब्रिस्तान और बाजार में हुए धमाकों में 37 लोग मारे गए थे। जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए थे। करीब एक महीने बाद एटीएस ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर धमाके करने के आरोप में इन 9 लोगों को गिरफ्तार किया। दावा किया गया कि ये सभी सिमी के सदस्य हैं सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए यह धमाके किए गए। एनआईए की जांच से बदली दिशा एटीएस से जांच सीबीआई को सौंप दी गई। इसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी गई।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने डांस बारों को लाइसेंस न देने के मुद्दे पर सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि गुजर-बसर के लिए सड़कों पर भीख मांगने या कोई 'अस्वीकार्य' काम करने से अच्छा है कि महिलाएं स्टेज पर डांस करें। महाराष्ट्र सरकार ने डांस बारों की ओर से कुछ शर्तों को न मानने की दलील देकर उन्हें लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने डांस बारों को लाइसेंस देने के लिए तय की गई कुछ पूर्व शर्तों पर गौर किया और कहा, 'बाद की शर्तों की बराबरी पहले की शर्तों से नहीं की जा सकती। आजीविका के लिए सड़कों पर भीख मांगने या कोई ‘अस्वीकार्य’ काम करने से अच्छा है कि महिलाएं स्टेज पर डांस करें।' कोर्ट ने कहा कि सरकार को कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा का संरक्षण करना होगा। शीर्ष कोर्ट ने कहा, 'यह क्या है? आपने हमारे आदेश का पालन क्यों नहीं किया है? आप कैसे प्रमाण-पत्र चाहते हैं? हमने आपसे पिछली बार कहा था कि आपको संवैधानिक मानदंडों का पालन करना होगा।' बहरहाल, पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद की यह दलील मान ली कि राज्य सरकार को सुनिश्चित करना है कि डांस बारों में कोई 'अश्लीलता' न हो और महिलाओं की गरिमा वहां सुरक्षित रहे।

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