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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में असली एनसीपी की लड़ाई को लेकर शरद पवार को राहत नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के अजित पवार गुट को असली एनसीपी बताने के फैसले पर रोक लगाने से इंकार किया है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा कि वह इस मामले में शरद पवार की याचिका का परीक्षण करने को तैयार है। अदालत ने अजित पवार और चुनाव आयोग (ईसी) को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी।

सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई तक शरद पवार अपनी सियासी पार्टी के लिए 'एनसीपी शरद चंद्र पवार' नाम का इस्तेमाल करेंगे। अगर पवार अपनी पार्टी एनसीपी शरद चंद्र पवार के लिए चुनाव आयोग से सिंबल की मांग करते है, तो चुनाव आयोग एक हफ्ते के भीतर चिन्ह आवंटित करे।

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। शरद पवार ने कोर्ट में अजित पवार गुट को असली एनसीपी बताने के फैसले को चुनौती दी है।

शुक्रवार को शरद पवार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि ऐसी संभावना है कि शरद पवार को अजित पवार द्वारा जारी व्हिप का सामना करना पड़ सकता है।

दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा सत्र अगले सप्ताह शुरू होगा। वहीं, शरद पवार के गुट को अभी तक कोई पार्टी चिन्ह आवंटित नहीं किया गया है। यह एक अजीब स्थिति होगी, चुनाव आयोग के आदेश के कारण, जब अगले सप्ताह विधानसभा शुरू होगी, तो शरद पवार अजित पवार के व्हिप के अधीन होंगे।

शरद पवार ने 1999 में बनाई थी पार्टी

शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से नाता तोड़कर पी संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर एनसीपी का गठन किया था। अजित पवार के नेतृत्व में तमाम विधायकों ने पिछले साल जुलाई में शरद पवार के साथ बगावत कर दी थी। वे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली और बीजेपी के साथ गठबंधन वाली सरकार में शामिल हो गए थे।

चुनाव आयोग ने 6 फरवरी को दिया था फैसला

6 फरवरी को चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी माना था. चुनाव आयोग ने ये फैसला बहुमत के आधार पर लिया। आयोग ने कहा कि अजित पवार गुट एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके एक दिन के बाद चुनान आयोग ने शरद पवार गुट को एनसीपी शरद चंद्र पवार नाम दिया। हालांकि, चुनाव चिह्न नहीं दिया गया।

चुनाव आयोग ने दिए ये तर्क

चुनाव आयोग ने कहा कि एनसीपी के सांसदों, विधायकों और एमएलसी की कुल संख्या 81 है। इसमें से अजित पवार के समर्थन में 57 विधायकों के हलफनामे सौंपे गए, जबकि शरद पवार के खाते में केवल 28 हलफनामे थे।

अजित पवार के साथ कितने विधायक

अजित के साथ महाराष्ट्र के 41 विधायक, 5 विधान परिषद के एमएलसी, नगालैंड के सभी 7 विधायक, झारखंड से एक विधायक, लोकसभा के 2 सांसद और राज्यसभा के एक सांसद का सपोर्ट है। 5 विधायकों और एक लोकसभा सांसद ने दोनों पक्षों के समर्थन में हलफनामा दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि अगर इन 6 को हटा भी दिया जाए, तो भी अजित पवार का गुट बहुमत में है। इस कारण वही असली एनसीपी है।

पिछले साल 1 जुलाई को अजित पवार ने चुनाव चिह्न आदेश, 1968 के तहत चुनाव आयोग में एनसीपी पर दावे के लिए याचिका दायर की थी। इसके बाद हुई 10 से ज्यादा सुनवाई के बाद 6 फरवरी को चुनाव आयोग ने फैसला दिया था।

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