नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की लड़ाई को लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाया, जिससे शरद पवार गुट को बड़ा झटका लगा है। छह महीने से अधिक समय तक चली सुनवाई में चुनाव आयोग ने (एनसीपी) में जारी विवाद का निपटारा किया। चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट के पक्ष में फैसला सुनाया और अजित पवार गुट को ही असली एनसीपी बताया है। चुनाव आयोग ने एनसीपी की लड़ाई को लेकर 10 से अधिक सुनवाई की और आज अपना फैसला सुनाया है। चुनाव आयोग ने अजित गुट को असली एनसीपी मानते हुए उन्हें 'एनसीपी का नाम और प्रतीक' सौंप दिया।
शरद पवार को तीन दिन का मिला वक्त
चुनाव आयोग ने आगामी राज्यसभा चुनावों को देखते हुए शरद पवार गुट को अपने राजनीतिक दल के लिए एक नाम का दावा करने का समय दिया है। साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि पार्टी के नाम और चिह्न को लेकर एक बार दावा करने का विकल्प दिया गया है और बुधवार दोपहर तक तीन प्राथमिकताएं देने के लिए कहा है।
चुनाव आयोग ने किस आधार पर सुनाया अपना फैसला
चुनाव आयोग ने कहा कि निर्णय में ऐसी याचिका की रखरखाव के निर्धारित परीक्षणों का पालन किया गया, जिसमें पार्टी संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों का परीक्षण, पार्टी संविधान का परीक्षण और संगठनात्मक और विधायी दोनों बहुमत के परीक्षण शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने कहा, विधायी विंग में बहुमत के परीक्षण को मामले की इस परिस्थिति में अनुकूल पाया गया, जहां दोनों समूहों को पार्टी संविधान और संगठनात्मक चुनावों के बाहर काम करते पाया गया है।
अजित पवार ने की थी बगावत
बता दें कि अजित पवार ने एनसीपी में बगावत की थी। उन्होंने पार्टी से अलग होकर अपने गुट के साथ पार्टी पर दावा किया था और अपने विधायकों के साथ महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सरकार को समर्थन दिया था।