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नई दिल्ली: शिवसेना ने शनिवार को हाथरस की घटना को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में "जंगल राज" कायम है, भले ही राज्य में अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रख दी गई है। यूपी के हाथरस में कथित गैंगरेप के मामला में मीडिया को गांव में घुसने नहीं दिए जाने पर शिवसेना नेता और प्रवक्ता संजय राउत ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। राउत ने कहा है कि अगर सरकार सही है तो मीडिया को मामले के कवरेज से क्यों रोका जा रहा है। 

संजय राउत ने कहा, "मुझे नहीं पता कि मीडिया को क्यों रोका गया। अगर सरकार ने कुछ भी गलत नहीं किया है, तो मीडिया को तथ्यों को सामने लाने के लिए वहां (बुलगद्दी गांव, हाथरस) जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।" महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दल ने आरोप लगाया कि हाल ही में यूपी में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं के बाद भी राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार भी कोई कदम उठाने में विफल रही है। पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी। लेकिन उत्तर प्रदेश में कोई 'राम राज्य' (आदर्श शासन) नहीं है। कानून व्यवस्था की स्थिति के मामले में यूपी में 'जंगल राज' कायम है।"

 मुखपत्र में कहा गया, "महिलाओं के खिलाफ अत्याचार होते रहते हैं और उस राज्य में युवतियों के बलात्कार और हत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं।"

सामना में कहा गया, "हाथरस में 19 वर्षीय एक महिला के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। मौत से पहले दिए गए अपने बयान में, पीड़िता ने कहा कि उसके साथ बलात्कार किया गया था। लेकिन यूपी सरकार अब कहती है कि उसके साथ बलात्कार नहीं हुआ था। इसके तुरंत बाद, यूपी के बलरामपुर में भी सामूहिक बलात्कार की घटना हुई।"

सामना में प्रकाशित लेख में पूछा गया, "लेकिन इस सब के बावजूद, न तो दिल्ली में शासकों और न ही योगी आदित्यनाथ सरकार पर कोई असर हुआ। सरकार खुद कहती है कि जब कोई बलात्कार नहीं था, तो विपक्ष क्यों चिल्ला रहा है। लेकिन अगर महिला का बलात्कार नहीं हुआ, तो पुलिस ने आधी रात में दाह संस्कार क्यों किया।"  

पार्टी ने कहा, "इससे पहले, जब अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली यूपी सरकार ने योगी आदित्यनाथ के सुरक्षा कवच को वापस ले लिया था, तब संसद में खूब हंगामा किया गया था। अब वह खुद मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उनके राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।"

सामना में कहा गया कि यूपी पुलिस ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हाथरस में पीड़ित परिवार से मिलने से रोक दिया। इसमें कहा गया, "गांधी को कॉलर द्वारा पकड़ा गया और जमीन पर धकेल दिया गया। एक प्रमुख राजनीतिक दल के नेता को इस तरह से अपमानित करना लोकतंत्र का सामूहिक बलात्कार है।" इसमें पूछा गया, "हाथरस पीड़िता का शव पुलिस ने उस पर पेट्रोल डालकर जलाया था। किस हिंदू परंपरा में यह अमानवीय कृत्य सही ठहराया जा सकता है?" 

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने पूछा, "जब पालघर में (इस साल अप्रैल में महाराष्ट्र में) दो साधुओं को मौत के घाट उतारा गया, तो हमने योगी आदित्यनाथ के बयानों को देखा और भाजपा ने हिंदुत्व का शंखनाद कर दिया था। लेकिन अब यह चुप क्यों है?" इसने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में टीवी चैनल की बहसों में भाजपा के प्रवक्ता ने खूब बयान दिए। 

मुखपत्र में कहा गया, "लेकिन वही लोग अब कह रहे हैं कि हाथरस की पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ था। पीड़िता के मौत से पहले दिए गए बयान का कोई मूल्य नहीं है!" शिवसेना ने कहा कि देश अतीत में इतना "बेजान और असहाय" कभी नहीं था।

 

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