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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

मुंबई: महाराष्ट्र विधान परिषद में शिवसेना की सदस्य नीलम गोर्हे लगातार दूसरी बार उपसभापति बनीं। मंगलवार को विधान परिषद के सभापति रामराजे नाईक-निंबालकर ने सर्वसम्मति से गोर्हे के उपसभापति चुने जाने की घोषणा की। नीलम गोर्हे को विपक्ष की अनुपस्थिति में उपसभापति चुना गया।

विधान परिषद उपसभापति पद के चुनाव के लिए विपक्षी दल भाजपा की ओर से विजय उर्फ भाई गिरकर ने नामांकन भरा था। लेकिन उपसभापति पद का चुनाव टालने की मांग मंजूर नहीं किए जाने के विरोध में भाजपा सदन से बाहर चली गई। इसके बाद विपक्ष की गैर मौजूदगी में सभापति ने गोर्हे को उपसभापति चुने जाने की घोषणा की। 

इससे पहले सदन में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि भाजपा के सचेतक सुजितसिंह ठाकुर ने बाम्बे हाईकोर्ट में उपसभापति पद के चुनाव को लेकर याचिका दाखिल की है।

उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि कोरोना संकट में चुनाव कराने से सदन के सदस्यों को मतदान और उम्मीदवारी के लिए पर्चा भरने के अधिकार से वंचित रहना पड़ेगा। इस याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। इसलिए अभी उपसभापति पद का चुनाव नहीं करना चाहिए।

सदन की प्रोसीडिंग में हाईकोर्ट को कोई अधिकार नहीं - सभापति

सभापति ने विपक्ष को दो टूक कहा कि सदन की आंतरिक कार्यवाही में हाईकोर्ट को कोई अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने भाजपा की याचिका पर मुझे नहीं बुलाया है और अपने आदेश के बारे में अवगत भी नहीं कराया है। यदि हाईकोर्ट ने मुझे समन भेजा तो मैं जवाब दूंगा। मैं चुनाव कराने के अपने फैसले पर कायम हूं।

नीलम गोर्हे हमारे लिए शुभ शकुन- पवार

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि गोर्हे हमारे लिए शुभ शकुन हैं। वे जून 2019 में उपसभापति बनीं और नवंबर 2019 में महाविकास आघाड़ी की सरकार बन गई। इसके जबाव में विधानभवन परिसर में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने पत्रकारों से कहा कि उपमुख्यमंत्री अजित भाजपा के लिए कितने शुभ थे, यह पूरे महाराष्ट्र ने देखा है। अजित भाजपा के साथ सत्ता में आए। इसके बाद भाजपा की सरकार चली गई।

पाटील ने सभापति को याद दिलाया एहसान   

महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने सभापति रामराजे नाईक-निंबालकर को पत्र लिखकर उपसभापति पद का चुनाव कराने को लेकर नाराजगी जताई है। पाटील ने विधान परिषद सभापति को भाजपा के एहसान की भी याद दिलाई है। पाटील ने कहा कि भाजपा ने जीवन में कभी भी एनसीपी को मतदान नहीं किया था। लेकिन चार साल पहले भाजपा ने सभापति पद के चुनाव में एनसीपी उम्मीदवार के रूप में आपको मतदान किया था। लेकिन भाजपा की सरकार में आपने कभी सहयोग नहीं किया था। परंतु उपसभापति पद के चुनाव में भेदभाव और दबाव में काम करने की सीमा पार हो गई। कोरोना काल और अदालत में याचिका प्रलंबित होने के बावजूद उपसभापति पद का चुनाव कैसे हुआ? यह आश्चर्यजनक है। 

 

 

 

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