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मुंबई: मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को शीना बोरा हत्या मामले में मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि जमानत पर रिहाई होने के बाद आरोपी द्वारा अभियोजन पक्ष के गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। मेडिकल आधार पर कई बार जमानत हासिल करने में नाकामी के बाद मुखर्जी ने पिछले साल दिसंबर में एक अन्य याचिका दायर कर मामले के गुण-दोष के आधार पर जमानत मांगी थी। लेकिन सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश जे सी जगदले ने बुधवार को इंद्राणी की यह याचिका खारिज कर दी।

अदालत ने कहा कि मामले के कुछ महत्वपूर्ण गवाहों जैसे कि आरोपी पीटर मुखर्जी के बेटे राहुल मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी एवं उसके पूर्व पति की बेटी विधि तथा सह-आरोपी संजीव खन्ना से अभी जिरह नहीं की गई है। न्यायाधीश ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि आरोपी प्रभावशाली और अमीर शख्स है। अत: अभियोजन पक्ष के गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।’

 

जमानत के लिए दलील देते हुए इंद्राणी मुखर्जी ने अदालत को बताया कि अभियोजन पक्ष का मामला झूठा और निराधार है और इसे साबित करने के लिए उसके पास करीब 120 दस्तावेज हैं। उसने कहा कि इस बात का कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं जो साबित करे कि यह अपराध हुआ था।

उसने साजिशकर्ता और अपनी बेटी शीना बोरा के हत्यारों में से एक के तौर पर अपनी भूमिका को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष के सबूतों में विसंगतियों का जिक्र किया। मुखर्जी ने जांच की विश्वसनीयता तथा वैधता पर भी संदेह जताया। इंद्राणी मुखर्जी ने दावा किया कि अभिनेता से गवाह बने श्यामवर राय समेत अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में कई विरोधाभास हैं।

 

 

 

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