मुंबई: महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के केस कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। कोरोना के मामले में देश में अव्वल महाराष्ट्र में शनिवार को 1,606 नए मामले है, जिसके बाद राज्य में कोरोना संक्रमतों की कुल संख्या बढ़कर 30,706 हो गई है। इसके साथ ही, शनिवार को कोरोना से 67 लोगों की मौत हो गई। इन नए आंकड़ों में बाद महाराष्ट्र में कोरोना से मरने वालों की कुल संख्या 1135 हो गई है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, महाराष्ट्र में आज 524 कोरोना संक्रमितों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई है, जिसके बाद अब तक राज्य में कुल 7,088 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है।
मुंबई में कोरोना के आए 884 नए मामले
मुंबई में कोरोना संक्रमण के आज 884 नए मामले आए हैं, जिसके बाद राज्य में अब तक कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18,396 हो गई है। आज मुंबई से 238 लोगों को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया गया है, जिसके बाद अब तक कुल 4,806 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।
म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ग्रेटर मुंबई के मुताबिक, मुंबई में अब तक कोरोना से 696 लोगों की जान जा चुकी है। बीएमसी ने यह भी कहा कि शनिवार को 41 लोगों की मौत हुई जबकि सात मई से 12 मई के बीच 14 लोगों की जान गई थी। मरने वालों में 26 पुरुष और 15 महिला हैं। 41 में से 24 मरीज अन्य बीमारियों से भी जूझ रहे थे। दो की उम्र 40 साल से कम है जबकि 27 की उम्र 60 साल से ज्यादा थी जबकि 12 की उम्र 40 से 60 साल के बीच थी।
मुंबई पुलिस के अब तक आठ कर्मियों की संक्रमण से मौत
मुंबई पुलिस के एक सहायक पुलिस निरीक्षक की कोविड-19 संक्रमण के कारण शनिवार को यहां एक सरकारी अस्पताल में मौत हो गई। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि धारावी में शाहू नगर पुलिस थाने में तैनात 33 वर्षीय अधिकारी को सुबह उनके घर में बेहोश पाया गया और उन्हें सायन स्थित लोकमान्य तिलक अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि सायन के प्रतीक्षा नगर में रहने वाले यह अधिकारी छुट्टी पर थे। वह सर्दी और बुखार से पीड़ित थे। अधिकारी ने बताया कि मरीज की बुधवार को जांच की गई थी और उनकी रिपोर्ट शनिवार को आई, जिसमें उन्हें संक्रमित पाया गया।मुंबई पुलिस बल में कोविड-19 से यह आठवीं मौत है।
कोविड-19: अदालत ने बीएमसी से प्रसूति गृहों, क्लीनिकों पर जानकारी मांगी
बंबई उच्च न्यायालय ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को यहां उन प्रसूति गृहों और क्लीनिकों की जानकारी वाला हलफनामा दाखिल करने को कहा है जहां कोविड-19 महामारी के बीच डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को देख रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अमजद सैयद की खंडपीठ ने शुक्रवार को मुहीउद्दीन वैद की याचिका पर सुनवाई की जिसमें सरकारी जे जे अस्पताल की एक घटना पर चिंता जताई गयी थी। याचिका में दावा किया गया कि जे जे अस्पताल में एक गर्भवती महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया क्योंकि उसके पास कोविड-19 का संक्रमण नहीं होने की बात प्रमाणित करने वाली रिपोर्ट नहीं थी।
याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि सरकार और नगर निकायों को महामारी के प्रकोप के दौरान गर्भवती महिलाओं के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया जाए। हालांकि राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में दावा किया कि जे जे अस्पताल में ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है। बीएमसी के वकील अनिल सखारे ने अदालत को बताया कि शहर में बड़ी संख्या में प्रसूति गृहों और क्लीनिकों में गर्भवती महिलाओं को देखा जा रहा है।
अदालत ने तब बीएमसी को निर्देश दिया कि शहर में ऐसे प्रसूति गृहों और क्लीनिकों के नाम और अन्य जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल किया जाए जो गर्भवती महिलाओं को भर्ती कर रहे हैं या उन्हें देख रहे हैं। पीठ ने कहा कि राज्य के हलफनामे में यह जानकारी भी होनी चाहिए कि इन प्रसूति गृहों और क्लीनिकों में पिछले कुछ सप्ताह में कितने प्रसव हुए हैं। मामले में अगली सुनवाई 22 मई को होगी।