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मुंबई: महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक संकट के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने चुनाव आयोग से विधान परिषद की 9 खाली सीटों पर चुनाव कराने की मांग की है। गुरुवार शाम राजभवन की ओर से यह जानकारी दी गई। दरअसल, उद्धव ठाकरे इस समय विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य नहीं हैं। वह बिना चुनाव लड़े ही राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के मुताबिक, यदि सदन से बाहर का कोई व्यक्ति मंत्री या मुख्यमंत्री बनता है तो शपथ ग्रहण से छह महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद (जिन राज्यों में है) का सदस्य बनना अनिवार्य है।

कोरोना वायरस महामारी की वजह से अभी विधानसभा के लिए उपचुनाव या विधान परिषद के लिए चुनाव संभव नहीं है। ऐसे में राज्य कैबिनेट की ओर से दो बार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। ऐसे में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बने रह पाने के लिए उनका विधान परिषद में राज्यपाल की ओर से मनोनयन बेहद जरूरी है। इधर राजभवन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी से भी बात की।

महाराष्ट्र में संभावित राजनीतिक संकट को लेकर विशेषज्ञों की राज्य बंटी हुई है। क्या राज्यपाल के लिए राज्य कैबिनेट के प्रस्ताव के मुताबिक उद्धव को मनोनीत करना आवश्यक है या यह उनके विवेक पर निर्भर है? संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि यह राज्यपाल का फैसला होगा। उन्होंने कहा, ''संविधान राज्यपाल को किसी मुद्दे पर विवेक से फैसला लेने की इजाजत देता है। यदि राज्यपाल यह फैसला करते हैं कि वह अपने विवेक से किसी मुद्दे को निपटाएंगे तो इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। राज्यपाल मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करने को बाध्य हैं, लेकिन तब नहीं जब वह अपने विवेक से फैसला लें।''

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