मुंबई: शिवसेना ने सोमवार को कहा कि घोटाले के आरोपों से घिरे डीएचएफएल के प्रमोटर- कपिल और धीरज वधावन तथा 21 अन्य को लॉकडाउन के बीच हिल स्टेशन की यात्रा की अनुमति देने वाले आईपीएस अधिकारी को पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के गृह विभाग में नियुक्त किया था। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में बिना कोई नाम लिए कहा गया कि अब यह साफ है कि आईपीएस अधिकारी अमिताभ गुप्ता के फैसले के पीछे कौन है और किसके निर्देशों पर वह महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को संकट में डाल सकते थे। यह साफ-साफ एक षड्यंत्र को दिखाता है जो सफल नहीं हुआ।
पिछले हफ्ते सातारा जिले में महाबलेश्वर हिल स्टेशन तक की यात्रा के लिए गृह विभाग के विशेष प्रधान सचिव गुप्ता द्वारा वधावन परिवार को एक पत्र कथित तौर पर सौंपने के बाद फडणवीस ने कहा था, 'यह संभव नहीं एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी यह जानते हुए ऐसी बड़ी गलती करे जिसका परिणाम उसे ही भुगतना पड़ेगा।'
इस मुददे पर विवाद होने के बाद, शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन की सरकार ने शुक्रवार को गुप्ता को अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया था और मामले में जांच के आदेश दिए।
मामले पर सरकार का बचाव करते हुए, शिवसेना ने सोमवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अमिताभ गुप्ता को राज्य गृह विभाग में नियुक्त किया था। पार्टी ने कहा कि उन्होंने गृह विभाग में गुप्ता की नियुक्ति करने से पहले जरूर उनकी कार्य क्षमता पर भरोसा किया होगा। सामना में लिखा, 'यह अब स्पष्ट हो गया है कि गुप्ता के फैसले के पीछे कौन था और किसके निर्देशों पर उन्होंने एमवीए सरकार को संकट में डाला होता।'
शिवसेना ने कहा कि यह वही अधिकारी (गुप्ता) है जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नियुक्त किया था और जिन्होंने वधावन परिवार के हक में काम कर राज्य सरकार के लिए परेशानी खड़ी की है। ऐसा लगता है कि कोई साजिश रची गई लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य के विपक्ष को केंद्र से सवाल करना चाहिए कि वधावन परिवार को पत्र जारी करने में गुप्ता के पीछे कौन था और केंद्र ने वधावन परिवार में असल में क्या योजना बनाई थी।