मुंबई: महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार ने शुक्रवार (6 मार्च) को पेश अपने पहले बजट में किसानों के लिए कर्ज में राहत, पेट्रोल और डीजल पर एक रुपये प्रति लीटर वैट बढ़ाने और उद्योगों के लिए बिजली शुल्क को कम करने का प्रस्ताव किया है। राज्य के उप- मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार ने विधानसभा में पेश 2020-21 के कुल 3,56,968 करोड़ रुपये के व्यय वाले बजट में 3,47,457 करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्ति का अनुमान लगाया गया है। बजट में 1,15,000 करोड़ रुपए की वार्षिक योजना और 9,511 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का अनुमान लगाया गया है। इसी प्रकार वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा 54,618.38 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पहले बजट में संसाधन जुटाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर वैट को प्रति लीटर एक रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि इससे राज्य सरकार के खजाने में हर साल 1800 करोड़ रुपए अतिरिक्त प्राप्ति होगी। बजट प्रस्तावों में कर रियायतों की घोषणा भी की गई है।
इसमें मुंबई महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) और पुणे, पिंपरी-चिंचवड और नागपुर के नगर निगमों के तहत आने वाले क्षेत्रों में दस्तावेजों के पंजीकरण पर लगने वाले शु्ल्क में अगले दो वर्षों तक एक प्रतिशत की रियायत शामिल है। बजट में औद्योगिक इस्तेमाल के लिए दी जाने वाली बिजली पर शुल्क को 9.3 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।
पवार ने कहा कि पंजीकरण शुल्क में रियायत से रीयल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जबकि बिजली शुल्क में कमी से उद्योगों को राहत मिलेगी। कर राहत के चलते राज्य सरकार को हर साल करीब 2,500 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है। इस तरह जिन किसानों का कृषि ऋण दो लाख रुपये से अधिक है, उसके लिए सरकार ने एकमुश्त समाधान योजना का प्रस्ताव रखा है।
30 सितंबर 2019 की स्थिति के अनुसार जिन किसानों के खाते में दो लाख रुपये से अधिक का बकाया है उसमें दो लाख तक की राशि सरकार देगी और उससे अधिक की पूरी राशि किसान को चुकानी होगी। इसी तरह नियमित रूप से फसली ऋण का भुगतान करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में 50,000 रुपये तक दिए जाएंगे। इसमें 30 जून 2020 तक अपने बकाए फसल ऋण का भुगतान नियमित रूप से करने वाले किसानों को यह प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
सरकार ने राज्य में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 30,000 करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान बजट में किया है। वहीं राज्य में गरीबों के लिए सस्ती भोजन योजना को चलाने के लिये 150 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है। पवार ने कहा कि उनके बजट प्रस्ताव आर्थिक सुस्ती की चुनौतियों का मुकाबला करने और रोजगार सृजन पर केन्द्रित हैं। बजट में कहा गया है कि जनवरी 2020 की स्थिति के अनुसार राज्य सरकार पर कुल 4,33,00,091 करोड़ रुपए का बकाया ऋण और देनदारी है। पिछले पांच साल के दौरान राज्य ने 2,82,448 करोड़ रुपए का कर्ज लिया।
एमवीए सरकार के बजट से क्षेत्रीय असंतुलन पैदा होगा: भाजपा
वहीं दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार (6 मार्च) को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के बजट से विकास के मामले में क्षेत्रीय असंतुलन पैदा होगा और इस बजट में राज्य के किसानों, युवाओं और महिलाओें के लिए कुछ भी नया नहीं है। मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि शिवसेना की अगुवाई वाली सरकार के पहले बजट में किसानों को कर्ज मुक्त बनाने के प्रावधान का कोई जिक्र नहीं है, जैसा पिछले साल नवंबर में एमवीए ने वादा किया था।
भाजपा नेता व विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने यहां विधान भवन परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा, ''इसमें किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए कुछ भी नया नहीं है… विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र के लिए भी इसमें कुछ नहीं है।" उन्होंने कहा, ''बजट में कोंकण क्षेत्र के लिए प्रावधानों का उल्लेख जरूर किया गया है, लेकिन उसमें कुछ भी ठोस नहीं है।" एक अन्य भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि बजट में न तो कोई ''अर्थ है और न ही कोई संकल्प" है।