मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को घोटालों के चलते विवादों में आई 31 मंजिला आदर्श सोसायटी इमारत को गिराने का आदेश दिया। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को निर्देश देते हुए कोर्ट कहा कि इसका निर्माण अवैध तरीके से हुआ था। कोर्ट ने कहा कि इमारत को याचिकाकर्ताओं (आदर्श सोसायटी) के खर्च पर गिराया जाना चाहिए। आदर्श हाउसिंग सोसायटी की एक अर्जी पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए 12 हफ्ते का वक्त दिया है। इस दौरान इमारत को गिराने के आदेश पर रोक रहेगी। हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को मामले में जिम्मेदार अधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं के खिलाफ विभिन्न अपराधों के तहत दीवानी और आपराधिक कार्यवाही शुरू करने को कहा। साथ ही इनके खिलाफ शक्तियों के दुरुपयोग के लिए भी मामला चलाने का निर्देश दिया। यह आदेश एक खुली कोर्ट में न्यायमूर्ति आरवी मोरे और न्यायमूर्ति आरजी केतकर की पीठ ने आदर्श सोसायटी की ओर से दायर कई याचिकाओं पर दिया। आदर्श सोसायटी ने उक्त याचिका केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के इमारत को गिराने के आदेश तथा रक्षा मंत्रालय की ओर से जमीन के मालिकाना हक के लिए दायर वाद को चुनौती देते हुए दायर की थी। रक्षा मंत्रालय ने उक्त वाद में दावा किया था कि जिस जमीन पर 31 मंजिला इमारत खड़ी की गई थी, वह उसकी है।
कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। वहीं, आदर्श सोसायटी में फ्लैट पाने वाले कई लोगों ने कहा कि उनके साथ न्याय नहीं हुआ है और वे इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इनके लिए सोसायटी थी: दक्षिण मुंबई के कोलाबा में यह सोसायटी कारगिल जंग के हीरो और उनकी विधवाओं के लिए बनाई गई थी। नियमों का उल्लंघन हुआ: यह सोसायटी तटवर्ती नियमों का उल्लंघन कर बनाई गई, जिस पर 1999 से ही विवाद है। साथ ही नियमों की अनदेखी कर 6 मंजिला इमारत को 31 मंजिल में बदल दिया गया। सोसायटी में नेताओं, रक्षा अधिकारियों और नौकरशाहों को फ्लैट आवंटित कर दिए गए। अशोक चव्हाण आरोपी: आदर्श सोसायटी घोटाला अशोक चव्हाण के मुख्यमंत्री रहते ही सामने आया था। उनके तीन रिश्तेदारों को भी इसमें फ्लैट देने की बात सामने आई। इसके चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मामले में चव्हाण भी आरोपी हैं। फरवरी 2016 में राज्यपाल ने उनके खिलाफ सीबीआई को मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। वर्ष 2003 में घोटाला सामने आया: वर्ष 2003 में एक आरटीआई कार्यकर्ता ने आदर्श हाउसिंग सोसायटी में घोटाले का पर्दाफाश किया था। वर्ष 2013 में न्यायिक आयोग ने पाया कि सोसायटी के 102 में से 25 सदस्य अयोग्य थे।
आदर्श सोसायटी से जुड़े प्रमुख घटनाक्रम
जुलाई 1999: आदर्श सोसायटी ने कोलाबा क्षेत्र में भूमि के लिए सरकार से संपर्क किया।
09 जुलाई 1999: सरकारी प्रस्ताव के तहत सोसायटी को प्लाॠट आवंटित किया गया।
04 अक्तूबर 2004: मुंबई के जिलाधिकारी ने भूमि का कब्जा सोसायटी को सौंपा।
27 अक्तूबर 2009: पश्चिमी नौसेना कमान कोआपरेटिव के उपपंजीयक से सोसायटी की विस्तृत जानकारी मांगी।
16 सितंबर 2010: आदर्श सोसायटी एमएमआरडीए से कब्जा प्रमाण पत्र मिला।
25 अक्तूबर 2010: नौसेना ने इस बात की पुष्टि की कि उसने सुरक्षा कारणों से आदर्श सोसायटी पर विरोध जताया है।
28 अक्तूबर 2010: मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री की सास और अन्य रिश्तेदारों के सोसायटी में फ्लैट हैं।
31 अक्तूबर 2010: बृहन्मुम्बई बिजली आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) ने कब्जा प्रमाण पत्र मांगते हुए नोटिस जारी किया।
03 नवंबर 2010: एमएमआरडीए ने आदर्श सोसायटी का कब्जा प्रमाणपत्र रद्द किया. बेस्ट ने विद्युत आपूर्ति, जबकि बीएमसी ने पानी की आपूर्ति बंद की।
09 नवंबर 2010: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का इस्तीफा।
22 नवंबर 2010: आदर्श सोसायटी कब्जा प्रमाण पत्र रद्द करने और पानी व बिजली आपूर्ति काटे जाने के विरुद्ध हाई कोर्ट पहुंचा।
21 दिसंबर 2010: हाईकोर्ट ने कहा कि यह सीधे-सीधे धोखेबाजी का मामला है।
16 जनवरी 2011: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए ।
2011: जांच के लिए आयोग का गठन, जांच आयोग ने चार पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई शीर्ष अफसरों व अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को कहा। दिसंबर 2013: कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने जांच आयोग की रिपोर्ट खारिज कर दी।