मुंबई: राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन के एक मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किए जाने पर मंगलवार को महाराष्ट्र विधानमंडल में जमकर हंगामा हुआ और विपक्षी कांग्रेस और राकांपा सदस्यों ने इसे भाजपा नेतृत्व वाली सरकार की ‘बदले की राजनीति’ बताकर इसका विरोध किया। दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण में कथित घोटाले के सिलसिले में भुजबल को कल गिरफ्तार किए जाने के बाद धनशोधन निरोधक अधिनियम से संबद्ध विशेष अदालत ने 68 वर्ष के पूर्व उप मुख्यमंत्री को 17 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में सौंप दिया। भुजबल को अदालत के सामने पेश किया गया जहां निदेशालय के वकील हितेन वेनेगांवकर ने कहा कि कल जब एजेंसी द्वारा बयान दर्ज किया जा रहा था तो पूर्व लोक निर्माण मंत्री सहयोग नहीं कर रहे थे। वेनेगांवकर ने अदालत को बताया, ‘उनसे जितने भी सवाल पूछे गए, उन्होंने ज्यादातर के जवाब में कहा कि ‘वह नहीं जानते।’
भुजबल खुद को निर्दोष बताते समय भावुक हो गए और उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने अदालत को बताया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मैंने सहयोग किया। मैं पिछले 50 बरस से समाज सेवा में हूं। जब कुछ सवाल (ईडी द्वारा) मेरे सामने रखे गए तो मैंने ईमानदारी से कहा कि मैं नहीं जानता, लेकिन फिर भी मुझे गिरफ्तार कर लिया गया।’ भुजबल ने कहा कि उन्होंने संबंधित अनुबंध को मंजूरी नहीं दी और केवल तत्कालीन मुख्यमंत्री (दिवंगत) विलासराव देशमुख के निर्देशों का पालन किया। उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने मुझसे बैठक करने के लिए कहा और मैंने ऐसा ही किया। मैंने अनुबंध मंजूर नहीं किया।’ भुजबल ने कहा कि उनके द्वारा संचालित न्यास ‘मुंबई एजूकेशन ट्रस्ट’ (एमईटी) के कुछ असंतुष्ट कर्मचारियों ने उनके खिलाफ मनगढंत कहानी बना ली। एमईटी के संस्थापक न्यासी सुनील कारवे ने भुजबल और उनके परिवार के खिलाफ चैरिटी आयुक्त और ईओडब्ल्यू में कोष के कथित गबन की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने अदालत से कहा, ‘जब वे मुझे ईडी में बार बार बुला सकते हैं तो मुझे गिरफ्तार क्यों किया।’