पुणे: पिछले दिनों कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने जिस तरह महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को हटवाने का प्रयास किया था, उसी तरह कुछ महिलाओं ने नासिक जिले के प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को धता बताने के लिए मंदिर की ओर कूच किया, लेकिन उन्हें पुलिस ने आज (सोमवार) मंदिर से करीब 80 किलोमीटर दूर रोक लिया और हिरासत में ले लिया। भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई के नेतृत्व में संगठन के बैनर तले करीब 150 से 175 के बीच महिला कार्यकर्ताओं को ग्रामीण पुलिस ने नांदुरशिंगोते गांव में महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर कस्बे की ओर जाने से रोक लिया। आज महाशिवरात्रि के मौके पर बड़ी संख्या में लोग मंदिर में दर्शन करने आये थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि महिला कार्यकर्ताओं को महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत हिरासत में ले लिया गया। नासिक से 30 किलोमीटर दूर और पुणे से 160 किलोमीटर दूर त्र्यंबक शहर को देशव्यापी आतंकी खतरे के मद्देनजर किले में तब्दील कर दिया गया।
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की वजह से भी विशेष निगरानी रखी गयी। प्राचीन ज्योतिर्लिंग मंदिर के ‘गर्भगृह’ में महिलाओं के प्रवेश की वकालत करने की अपनी योजना के तहत भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति लगभग 150-175 कार्यकर्ताओं के साथ पुणे से रवाना हुई थीं। रवाना होने से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि पिछले अभियान की तरह इस बार उनकी सदस्यों को रास्ते में पकड़ा न जाए। तृप्ति ने बताया, ‘‘चूंकि मुख्यमंत्री ने शनि शिंगणापुर के मुद्दे पर हमारा समर्थन किया था, ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि हमें आज रोका नहीं जाएगा और हमें ‘गर्भगृह’ में प्रवेश करने दिया जाएगा।’’ तृप्ति ने कहा, ‘‘इस शुभ दिन पर, हमें लगता है कि स्थानीय प्रशासन हमें मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने देगा और यदि हमें रोका जाता है तो यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्वसंध्या पर और महाशिवरात्रि के दिन महिलाओं का अपमान होगा।’’ गत 26 जनवरी को शनि शिंगणापुर मंदिर की ओर महिला कार्यकर्ताओं के बढ़ने के दौरान सूपा गांव में जो स्थिति पैदा हो गई थी, उसे इस शहर में पैदा होने से रोकने के लिए नासिक ग्रामीण पुलिस ने मंदिर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी। इस बीच, महिला कार्यकर्ताओं के इस अभियान का विरोध करते हुए महिला दक्षता समिति, शारदा महिला मंडल, पुरोहित संगठन आदि स्थानीय संगठनों ने एकजुट होकर महिला कार्यकर्ताओं को प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश करने पर रोकने की चेतावनी दी। पिछले कई सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं होती वहीं पुरुषों को सुबह छह बजे से सात बजे तक पूजा करने की अनुमति है लेकिन उन्हें सिल्क की धोती पहनकर आना होता है।