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जयपुर: दंड प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश 2017 पर आज शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

इस बिल को चुनौती देने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट, पीयूसीएल एडवोकेट पुनम चंद भण्डारी की पीआईएल समेत 6 याचिकाओं पर एक साथ कोर्ट ने सुनवाई की।

हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही अगली सुनवाई की तारीख 27 नवंबर तय की है।

क्या है मामला

दरअसल, राजस्थान सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन करके लोक सेवकों को प्रोटेक्ट करने की कोशिश की है। इसके तहत लोकसेवक के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए सरकार से अभियोजन स्वीकृति लेनी होगी।

जयपुर: गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। लिहाजा राज्य की वसुंधरा सरकार अभी से नाराज गुटों को मनाने की कवायद में जुट गई है। इसी कड़ी में वसुंधरा सरकार ने राज्य में गुजरों को 5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है।

इसके लिए वसुंधरा सरकार 21 फीसदी से ओबीसी कोटा बढ़ाकर 26 फीसदी कर दिया है। ओबीसी कोटा को बढ़ाए जाने पर लंबे समय से विचार चल रहा था। अब जाकर राज्य की वसुंधरा राजे सरकार ने गुर्जर समेत 5 अन्य जातियों को अलग से आरक्षण देने के लिए विधानसभा में यह बिल पारित करवाने में कामयाब हुई।

ये जातियां पहले स्पेशल बैकवर्ड क्लास की कैटेगरी में शामिल थीं। बिल पारित होने के बाद इस पर राज्यपाल की मुहर लगेगी और नई आरक्षण व्यवस्था राज्य में लागू हो जाएगी। हालांकि इस बिल के विधानसभा से पारित होने के बाद भी खतरा मंडरा रहा है। पिछली बार राज्य सरकार की ऐसी ही एक कोशिश पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।

जयपुर: गुर्जर समाज सहित पांच अन्य जातियों को ओबीसी में पांच फीसद आरक्षण देने को लेकर राजस्थान विधानसभा के वर्तमान सत्र में ही विधेयक लाया जाएगा। राज्य सरकार ने इस बारे में पूरी तैयारी कर ली है।

पहले सरकार अगले माह अध्यादेश जारी कर आरक्षण देने पर विचार कर रही थी, लेकिन गुर्जर नेताओं की नाराजगी के चलते सरकार को विधानसभा में विधेयक लाना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, इस विधेयक को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

विधेयक के पास होने के बाद प्रदेश में ओबीसी का कोटा 21 से बढ़कर 26 फीसद हो जाएगा। ओबीसी में इस बढ़े हुए पांच फीसद आरक्षण का लाभ गुर्जर समाज के साथ ही रैबारी, रायका, गाड़यिा लुहार, गड़रिया सहित पांच जातियों को मिलेगा।

जयपुर: राजस्थान में विवादित अध्यादेश पर सियासी बवाल बढ़ता ही जा रही है। विवादित अध्यादेश के खिलाफ प्रदेश की वसुंधरा राजे सरकार को विधानसभा के भीतर और बाहर दोनों ही जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा। इसके बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विवादित अध्यादेश को सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया है।

बता दें कि इस अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस जहां विधानसभा के भीतर विरोध कर रही है, तो वहीं विधानसभा के बाहर पत्रकार विरोध मार्च निकाल नारेबाजी कर रहे हैं। मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो राजे ने कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से इस मसले पर बातचीत के बाद यह फैसला लिया।

इस फैसले के बाद बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस कदम का स्वागत किया। स्वामी ने इस बिल को विधान सभा की सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने को एक स्मार्ट मूव बताया है। राजे ने अपने लोकतांत्रिक स्वभाव का परिचय दिया है।

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