जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दांव उलटा पड़ता दिख रहा है। हाईकमान की ओर विधायक दल की बैठक के लिए दूत बनाकर भेजे गए अजय माकन ने मीडिया के सामने खुलकर कहा है कि जो कुछ हुआ वह अनुशासनहीनता है। ऐसे में संकेत यह भी मिल रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष का रुख सख्त हो सकता है और गहलोत को लेनी की देनी पड़ सकती है। अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी भी अपने पास रखने की उनकी कोशिश ने उनके दोनों ही पदों को खतरे में डाल दिया है।
रविवार रात मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मिलकर विधायकों से बात करने और गहलोत कैंप को मनाने की कोशिश में नाकाम रहे अजय माकन ने दिल्ली लौटने से पहले मीडिया के सामने सारी बातें खुलकर रखीं। उन्होंने बताया कि किस तरह गहलोत कैंप के तीन विधायकों ने उनके सामने आकर तीन शर्तें रखीं, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी विधायकों से अलग-अलग बात नहीं करने दिया गया। माकन ने बताया कि उनके सामने तीन शर्तें रखी गईं थीं और प्रस्ताव में इन्हें शामिल करने को कहा गया था।
माकन ने कहा, ''कांग्रेस विधायक दल की बैठक मुख्यमंत्री की सहमित से बुलाई गई थी। स्थान और समय भी उन्होंने तय किया था। जो विधायक नहीं आए, उनसे हम एक एक करके बात करना चाहते थे। कोई फैसला नहीं हो रहा है, आपकी बात दिल्ली पहुंचाएंगे। शांति धारीवाली और डॉ जोशी और प्रताप खाचरियावास हमारे पास आए।उन्होंने तीन शर्तें रखीं।''
माकन ने आगे कहा, ''पहली बात उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पर फैसला छोड़ने का प्रस्ताव पास करना है तो करिए लेकिन इसमें लिखा हो कि 19 अक्टूबर के बाद फैसला होगा। हमने कहा कि जब वह 19 अक्टूबर को अध्यक्ष बन जाएंगे तो अपने ही प्रस्ताव पर फैसला करेंगे तो इससे बड़ा हित का टकराव नहीं हो सकता है। दूसरा जब हमने कहा कि एक एक करके बात करेंगे तो उन्होंने कहा कि नहीं ग्रुप में आकर बात करेंगे। तीसरी शर्त उन्होंने रखी कि जो 102 विधायक उस समय गहलोत के वफादार थे उनमें से ही बनाया जाए, सचिन पायलट या उनके साथ रहे लोगों को नहीं बनाया जाए।''
दिल्ली जाकर सोनिया गांधी को रिपोर्ट देने की बात कहते हुए माकन ने कहा, ''वे अड़े रहे कि प्रस्ताव में तीनों शर्तों को शामिल किया जाए। हमने कहा कि यह कांग्रेस की परंपरा नहीं रही है। इसमें हित का टकराव भी नहीं होना चाहिए। हमने उन्हें इसके लिए मना किया। सबकी बात सुनकर ही कांग्रेस अध्यक्ष फैसला करेंगी। हम इंतजार करते रहे वे लोग नहीं आए। अब हम अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी जी को सौंपेंगे। क्या यह अनुशासनहीनता है? इसके जवाब में माकन ने कहा, ''पहली नजर में तो यह अनुशासनहीनता ही है, जब एक आधिकारिक बैठक बुलाई गई थी और उसी के समानांतर दूसरी बैठक बुलाई जाए तो यह अनुशासनहीनता तो है, आगे देखते हैं इस पर क्या कार्रवाई होती है।''
गहलोत पर होगा ऐक्शन?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो अब तक गांधी परिवार के बेहद भरोसेमंद कहे जाते रहे गहलोत के ताजा रुख से कांग्रेस हाईकमान भी हैरान और परेशान है। जिस तरह गहलोत के समर्थकों ने पार्टी नेतृत्व के फैसले का विरोध किया और मुख्यमंत्री चुपचाप सब देखते रहे उसके बाद सोनिया और राहुल गांधी के भी नाराज होने की बात कही जा रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी उनपर कोई ऐक्शन लेती है या नहीं।