(धर्मपाल धनखड़) कोरोना के चलते पूरे देश की तरह हरियाणा में भी 25 मार्च से लाकडाउन चल रहा है। सरकार, पुलिस व प्रशासन लाकडाउन को सफल बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं। लाकडाउन के शुरू के तीन चार दिन कई तरह की दिक्कतें पेश आयी। खास तौर पर लोगों को घरों से बाहर ना निकलने देने और प्रवासी मजदूरों का पलायन रोकने तथा उन्हें आवश्यक सामान उपलब्ध करवाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पडा़। हालांकि शुरू के दो तीन दिन बडी़ संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर जाने के सड़कों पर पैदल जाते दिखाई दिये। उनमें से ज्यादातर को लोगों ने प्रशासन की मदद से रोक लिया और उनके रहने व खाने का इंतजाम किया गया। अब धीरे-धीरे हालात पर काबू पा लिया गया है और तमाम राहत कार्य सुचारू ढंग से चल रहे हैं।
प्रदेश में अब तक कोरोना संक्रमण के कुल 27 मामले सामने आये हैं। इनमें इटली से आये वे लोग शामिल नहीं हैं जिनका गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। कोरोना की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने 298 आइसोलेशन वार्डों में 1328 बैड की व्यवस्था की है। साथ ही निजी अस्पतालों का भी इस्तेमाल किया जायेगा।
स्वास्थ्य विभाग समेत पांच विभागों के 31 मार्च को सेवा निवृत होने वाले कर्मचारियों की सेवाओं को विस्तार दे दिया गया है। कोरोना की जांच पी जी आई एम एस रोहतक और बी पी एम एम मेडिकल कालेज में की जा रही है। इसके अतिरिक्त पांच प्राइवेट लैब को भी जांच की स्वीकृति दी गयी है, जिनमें एक शुरू हो गयी है बाकी चार भी जल्द ही शुरू हो जायेंगी। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में करीब 150 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मुताबिक प्रवासी मजदूरों और बेघर लोगों को भोजन और आश्रय की देने के लिए 467 राहत शिविर बनाये गये हैं जिनकी क्षमता 70,000 लोगों को ठहराने की है, और इस समय इनमें दस हजार से ज्यादा श्रमिक रह रहे हैं। महामारी से लड़ने के लिए कोरोना रिलीफ फंड में अब तक करीब तीन हजार लोगों ने 21 करोड़ रूपये का योगदान किया है। करीब 60 हजार वालंटियर्स ने अपनी सेवाएं देने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है जिनमें 800 डाक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और राहत शिविरों में काम करने वाले लोग शामिल हैं।
राहत शिविरों में चौबीस घंटे किसी न किसी अधिकारी या कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गयी हैं। महामारी की रोकथाम के कामों की निगरानी के लिए 10 निगम आयुक्तों के अलावा 18 तालमेल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं।
गौरतलब बात ये है कि स्वास्थ्य महकमे के अलावा पुलिस और शहरी निकायों के तहत सफाई कर्मचारी पूरी शिद्दत के साथ अपने काम में लगे हैं। संकट की इस घडी़ में अपनी जान की परवाह ना करते हुए सेवा कार्यों में लगे है। प्रवासी मजदूरों और बेघर लोगों तरा झुग्गी झोपडि़यों के बाशिदों तक खाना और अन्य आवश्यक सामान पहुंचाने में स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाएं भी बडे़ पैमाने पर आगे आ रही हैं। सरकारी मदद पहुंचने से पहले स्वयं सेवी संस्थाओं और कार्यकर्ताओं ने प्रवासी मजदूरों व बेघर लोगों खाना और आश्रय उपलब्ध करवाने में सराहनीय भूमिका अदा की है। एकाध जगह को छोड़ दे तो सरकारी स्तर पर किये जा रहे प्रयास भी सफल रहे हैं। इसी कडी़ में यदि हम ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो सरकार ने ज्यादातर गांवों को मल्टी प्रपर्ज हैल्थ वर्करों के भरोसों छोड़ रखा है। सारा अमला शहरों में सफाई और सेनिटाजेशन की व्यवस्था में जुटा है।
वहीं गांव में जहां सरकार सेनीटाइजेशन नहीं करवा पायी, वहां लोगों ने खुद गांव सेनीटाइज करने का काम किया हे। इतना ही नहीं ज्यादातर गांव में बाहर से आने वालों पर कडी़ नजर रखी जा रही है। साथ बाहर आने वालों को गांव के बाहर ही ठहराने की व्यवस्था की गयी है। इसके अलावा प्रवासी मजदूरों व अन्य गरीब तबकों के लोगों को खाने-पीने का सामान भी अपने स्तर पर मुहैया करवाया जा रहा है। प्रदेश सरकार कोरोना तथा लाकडाउन से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए तमाम मोर्चों पर मुस्तैदी से काम कर रही है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि प्रदेश में गुलाबी, पीले और खाकी राशन कार्डधारकों को अप्रैल महीने का राशन मुफ्त देने की घोषणा की है। साथ ही जिन गरीब या प्रवासी मजदूरों के पास राशन कार्ड नहीं हैं उन्हें पैक्ड राशन कार्ड दिया जा रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री परिवार स्मृद्धि योजना के तहत कुल 12.50 लाख परिवारों में से 6.29 परिवारों 4000 रूपये की राशि भेज दी गयी है, बाकी को जल्द ही भेज दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी हर हफ्ते 1000 रूपये खाते में भेजने की बात कही है। इसको लेकर काफी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। जो श्रमिक पहले से पंजीकृत हैं उनके खातों में तो आसानी से सहायता राशि भेज दी जायेगी। लेकिन प्रवासी और अपंजीकृत मजदूरों तक इस सहायता का पहुंचा पाना मुश्किल काम हैं। श्रमिक पंजीकरण करवाने के लिए लाकडाउन का उल्लंघन करके साइबर कैफे पर भीड़ लगा रहे हैं। ज्यादातर जगहों पर तो पुलिस की सख्ती के कारण मजदूर साइबर कैफे तक पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। साथ ही पंजीकरण के लिए जो शर्ते रखी गयी हैं उन्हें पूरा कर पाना भी सरल नहीं है। प्रदेश की चार फैक्ट्रियों में 9 करोड़ रूपये मूल्य का सैनिटाइजर बनाया जा रहा है, जो मुफ्त बांटा जायेगा। सैनिटाइजर की बोतल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की फोटो छपी हुई है। इसको लेकर सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर आ गयी है। इससे पहले लाकडाउन के दौरान शराब की बिक्री जारी रखने को लेकर भी सरकार की कडी़ आलोचना हुई थी।
मीडिया द्वारा मामला उठाये जाने के बाद शराब की बिक्री पर रोक लगायी गयी। ऐसे समय में सरकार को काफी सोच समझकर कदम उठाने चाहिए। लाकडाउन के दौरान सरकार सभी वर्गों के लिए चिंतित है। फसल कटाई के सीजन को देखते हुए राज्य सरकार ने कंबाइन हारवेस्टर, ट्रैक्टर आदि के आवागमन से रोक हटा ली है और इनकी मरम्मत करने वाली दुकानों को भी खुला रखने का फैसला लिया गया है। सरसो की सरकारी खरीद 15 अप्रैल और 20 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होगी। इसके लिए अतिरिक्त मंडियों की व्यवस्था भी की गयी है। साथ ही सरकार ने गेहूं देरी से मंडियों में लाने वाले किसानों को बोनस देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। केंद्र ने स्वीकृति दी तो बोनस भी दिया जायेगा। जबकि विपक्षी दल और किसान संगठन लगातार सरकार से किसानों को गेहूं की फसल पर सौ रूपये प्रति क्विंटल बोनस देने की मांग कर रहे हैं।
इस बार किसानों को जहां बेमौसम बारिस और ओला वृष्टि से काफी नुकसान हुआ है, वहीं लाकडाउन की वजह से मजदूर मिलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है विपक्षी दलों ने ओलों से नष्ट हुई फसल का 40 हजार रूपया प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की है, लेकिन सरकार ने अभी तक मुआवजा राशि की कोई घोषणा नहीं की है। कुल मिलाकर देखा जाये तो सरकार सभी तबकों को ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठा रही है। लेकिन जहां तक सरकारी स्वास्थ्य तंत्र को दुरस्त, मजबूत और कारगर बनाने की बात है उस दिशा में अब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं। बडी़ संख्या में अस्पतालों मे वेटिलेटर समेत तमाम उपकरणों की जरूरत है, इसकी तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ और सफाई कर्मचारियों के लिए कोरोना से बचाव के लिए उपयुक्त साजो सामान पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए।