चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को कहा कि राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है तथा लोग इससे जल्द से जल्द पीछा छुड़ाने के लिये बेसब्री से चुनावों का इंतज़ार कर रहे हैं। हुड्डा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार किसानों, व्यापारियों, कर्मचारियों, कानून व्यवस्था सहित सभी मुद्दों और मोर्चों पर कथित तौर पर विफल रही है। उन्होंने दावा किया कि जमीन पर कोई काम नहीं हो रहा है अलबत्ता सरकारी पैसा सरकार के कथित झूठे प्रचार पर खर्च किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में राज्य पर कुल कर्ज लगभग 70 हजार करोड़ रूपये था जो वर्ष 2017-18 में बढ़ कर 1.61 लाख करोड़ रूपये हो गया है जबकि सरकार ने कोई बड़ी परियोजना राज्य में स्थापित नहीं की है। सरकार से आगामी विधानसभा सत्र में इन मुद्दों पर जबाव मांगा जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा और मुख्य विपक्षी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) बेनकाब हो चुके हैं और ऐसे में कांग्रेस अगले विधानसभा चुनवों में बड़ी जीत दर्ज कर सत्ता में लौटेगी।
उन्होंने इनेलो को मुख्य विपक्षी दल के वजाय सरकार के मुख्य सहयोगी दल की संज्ञा दी। एसवाईएल नहर को लेकर इनेलो के जेल भरो आंदोलन पर तंज कसते हुये उन्होंने इसे ‘नकली जेल और नकली बेल‘ का खेल करार दिया और कहा कि हैरानी की बात यह है कि इस तथाकथित आंदोलन के बाद इनेलो का एक भी नेता जेल में नहीं है।
हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर निशाना साधते हुये कहा कि वह स्वयं को किसान और किसानों का हितैषी बताते हैं, लेकिन वे जनता को बताएं कि उनकी सरकार ने किसानों हितों के अपने शासन क्या काम किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग कि सफारिशों से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) किसानों को देने का दावा कर रही है। लेकिन वह बताना चाहते हैं कि केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान जहां एमएसपी में लगभग 62 प्रतिशत की वृद्धि की गई वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में यह केवल 49 प्रतिशत ही रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री के अनुसार उनकी सरकार के दौरान गन्ना किसानों का एक भी पैसा बकाया नहीं था लेकिन आज गन्ना किसान अपने गन्ने की कीमत लेने के लिये धरने पर बैठे हुये हैं। उनकी सरकार ने किसानों के 1600 करोड़ रूपये के बिजली बिल माफ किये थे। इसके अलावा किसानों के लिये बिना ब्याज पर कृषि ऋण की व्यवस्था की थी। लेकिन मौजूदा राज्य सरकार बताए कि उसने किसानों के लिये क्या किया। उन्होंने राज्य सरकार पर किसानों की जमीनें हड़पने के लिये उनकी सरकार के समय निर्धारित की गई भूमि अधिग्रहण नीति को भी कमजोर करने का आरोप लगाया।