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नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने बांग्लादेश मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया साइट एक्स पर लंबी पोस्ट में अखिलेश ने बिना किसी देश का नाम लिखे जो बयान जारी किया है, उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। सपा प्रमुख ने अपनी पोस्ट में वैश्विक इतिहास का संदर्भ लेते हुए इशारों में बांग्लादेश की हालिया स्थिति पर टिप्पणी करते हुए भारत सरकार को भी 'नसीहत' दी है।

सपा चीफ ने लिखा- विश्व इतिहास गवाह है कि विभिन्न देशों में सत्ता के ख़िलाफ़, उस समय की कसौटी पर, सही-गलत कारणों से हिंसक जन क्रांतियाँ, सैन्य तख़्तापलट, सत्ता-विरोधी आंदोलन विभिन्न कारणों से होते रहे हैं। ऐसे में उस देश का ही पुनरुत्थान हुआ है, जिसके समाज ने अपने सत्ता-शून्यता के उस उथल-पुथल भरे समय में भी अपने देशवासियों की जान-माल व मान की रक्षा करने में जन्म, धर्म, विचारधारा, संख्या की बहुलता-अल्पता या किसी अन्य राजनीतिक विद्वेष या नकारात्मक, संकीर्ण सोच के आधार पर भेदभाव न करके सकारात्मक-बड़ी सोच के साथ सबको एक-समान समझा और संरक्षित किया है।

नई दिल्ली: अमेरिका की शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और उसकी प्रमुख माधवी पुरी बुच विपक्ष के निशाने पर हैं। मामले में अब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सेबी की प्रतिष्ठा को उसके चेयरपर्सन पर लगे आरोपों ने गंभीर रूप से ठेस पहुंचाई है।

हिंडनबर्ग मामले में राहुल गांधी हमलावर

उन्होंने कहा, 'देश भर के ईमानदार निवेशकों के पास सरकार के लिए महत्वपूर्ण सवाल हैं- सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया? अगर निवेशक अपनी मेहनत की कमाई खो देते हैं, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सेबी अध्यक्ष या गौतम अडानी? सामने आए नए और बेहद गंभीर आरोपों के मद्देनजर क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले की फिर से स्वतः संज्ञान लेकर जांच करेगा?' उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया कि पीएम मोदी जेपीसी जांच से इतना क्यों डरते हैं और इससे क्या पता चल सकता है।

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में भारतीय शेयर बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, दंपती ने रिपोर्ट को बेबुनियाद बताया है। दरअसल, शनिवार देर रात आई रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में दंपती की हिस्सेदारी थी।

क्या है हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट?

10 अगस्त को जारी नवीनतम हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि सेबी की वर्तमान प्रमुख माधबी बुच और उनके पति के पास अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए दोनों अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि 18 महीने पहले अडानी समूह पर अपनी रिपोर्ट जारी की थी, लेकिन सेबी ने समूह पर कार्रवाई नहीं की।

माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ 10 अगस्त 2024 की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कई आरोप लगाए गए हैं।

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। इस रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं। विपक्ष ने तत्काल इस मामले की जांच की मांग की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार रात को कांग्रेस की ओर से एक बयान जारी करते हुए कहा, “अडानी मेगास्कैम की जांच करने के लिए सेबी की अजीब अनिच्छा लंबे समय से देखी जा रही थी, खासकर सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति की ओर से.. उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सेबी ने 2018 में विदेशी फंडों के अंतिम लाभकारी (यानि वास्तविक) स्वामित्व से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर कर दिया था और 2019 में पूरी तरह से हटा दिया था।”

जयराम रमेश के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोप गौतम अडानी की ओर से सेबी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने के तुरंत बाद बुच के साथ लगातार दो 2022 बैठकों के बारे में नए सवाल खड़े करते हैं।

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