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नई दिल्ली: दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित कंवेन्शन सेंटर में केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। करीब 4 घंटे तक चली इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। प्रधानमंत्री के अलावा इसमें गृह मंत्री अमित शाह और कैबिनेट के अन्य मंत्री मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिपरिषद की बैठक में वित्त सचिव का भी एक प्रजेंटेशन हुआ, जिसमें उन्होंने बताया कि 2047 तक भारत किस तरह एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बन कर उभरेगा।

मंत्रिपरिषद की बैठक में अगले 25 साल में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भारत की जरूरतों को ध्यान में रखकर आगे किस तरह से नीतिगत पहल की जाए, इस पर विस्तार से चर्चा हुई। सभी मंत्रियों से उनके काम का ब्योरा मांगा गया। बैठक में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मंत्रालयों के कामकाज की समीक्षा की गई। पीएम मोदी ने कहा, ‘हम इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को इकोनॉमी के लिए प्रेरक शक्ति मानते हैं। भारत इस रास्ते पर चलकर वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य हासिल कर लेगा। सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने कहा कि 2024 की तरफ नहीं देखे, 2047 की तरफ देखते हुए काम कीजिए।

नई दिल्ली: देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर छिड़ी बहस के बीच सोमवार को कानून व व्यवस्था मामलों की संसदीय समिति (पार्लियामेंट्री समिति) की बैठक हुई। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की। सुशील मोदी ने बैठक में उत्तर-पूर्व और अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को किसी भी संभावित समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखने की वकालत की है। वहीं, कांग्रेस और डीएमके समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आम चुनाव के मद्देनजर यूसीसी को लेकर सरकार की टाइमिंग पर सवाल उठाए। सूत्रों ने कहा कि उम्मीद के मुताबिक बीजेपी नेताओं ने यूसीसी का समर्थन किया।

विपक्षी दलों ने टाइमिंग पर उठाए सवाल, पेश किया लिखित बयान

कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा और डीएमके सांसद पी विल्सन ने बैठक में लिखित बयान पेश किए। उन्होंने यूसीसी को अगले साल होने वाली लोकसभा चुनाव से जोड़ा। वहीं, शिवसेना और बीएसपी ने यूसीसी का विरोध नही किया, लेकिन इसे सशर्त समर्थन दिया।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का संविधान पीठ 11 जुलाई को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जा को खत्म किए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती देने के मामले पर सुनवाई करेगी। इस मामले पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच सुनवाई करेगी।

बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। इन पर मार्च 2020 में सुनवाई करना तय किया गया था। लेकिन तब कुछ याचिकाकर्ताओं की मांग के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने इन याचिकाओं को सात जजों की संविधान पीठ के समक्ष नहीं भेजने का फैसला लिया था। तब याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के दो फैसले - प्रेम नाथ कौल बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य और संपत प्रकाश बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य - जो पांच-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए थे और अनुच्छेद 370 की व्याख्या से संबंधित थे वो परस्पर विरोधाभासी थे।

नई दिल्ली: कांग्रेस सहित 17 विपक्षी दलों की पिछले दिनों ही पटना में संपन्न हुई थी. जिसमें वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला एकजुट होकर करने और अपने मतभेदों को अलग कर सीट बंटवारे में लचीला रुख अपनाने का संकल्प लिया गया था। अब विपक्षी दलों ने संयुक्त रणनीति पर चर्चा के लिए बेंगलुरु में अगली बैठक बुलाने का फैसला किया है।

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पटना में बेहद सफल सर्व-विपक्ष बैठक के बाद, हम 17 और 18 जुलाई, 2023 को बेंगलुरु में अगली बैठक करेंगे। सोशल मीडिया पर किए ट्वीट में कांग्रेस नेता ने लिखा कि हम फासीवादी और अलोकतांत्रिक ताकतों को हराने और देश को आगे ले जाने के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के अपने अटूट संकल्प पर कायम हैं।

सीपीएम पोलित ब्यूरो मेंबर नीलोत्पल बसु ने बैठक के बारे में बताते हुए कहा कि अगली विपक्षी दलों की बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की एकजुटता और मजबूत करने के एजेंडे पर बात होगी।

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