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नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस से पहले आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के 18 संदिग्ध हमदर्दों को गिरफ्तार कर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने देश में आतंकी वारदातों को अंजाम देने की एक बड़ी साजिश नाकाम की है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो एनआईए को यह कामयाबी अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक टिप से मिली। रिपोर्टों के मुताबिक सीआईए लगातार पश्चिम एशिया में आईएस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कंप्यूटर के आईपी एड्रेस और स्मार्ट फोन नजर बनाए रखती है। सीआईए को आईएस के संदिग्धों के बीच एक कोड वर्ड में की जा रही बातचीत में पता चला। '7 कलश रख दो' को डिकोड करते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने भारतीय एजेंसियों को चौकन्ना किया। ऐसा पहली बार हुआ कि भारत में आईएसआईएस की मौजूदगी की आशंका के सुराग मिले।आतंकी संगठन IS ने देश में भयानक हमले की खूंखार साजिश रची थी। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि 60 IS ऑपरेटिव्स देशभर में सक्रिय हैं।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती पर उनसे जुड़ी 100 गोपनीय फाइलों की डिजिटल प्रतियां सार्वजनिक कर दीं। इन फाइलों से नेताजी की मृत्यु से जुड़े विवाद को समझने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने फाइलों को सार्वजनिक किया और इनकी डिजिटल प्रतियां भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में प्रदर्शित करने के लिए जारी कीं। प्रधानमंत्री ने एक बटन दबाकर इन फाइलों की प्रतियों को सार्वजनिक किया और उस समय सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और बाबुल सुप्रियो भी मौजूद थे। बाद में पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने सार्वजनिक की गई इन फाइलों को देखा और वहां राष्ट्रीय अभिलेखागार में आधे घंटे तक रहे।

नई दिल्ली : सुभाषचंद्र बोस से जुड़ी गुप्त फाइलें आज (शनिवार) सार्वजनिक होने जा रही हैं। संभवत: बोस परिवार की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें जारी करेंगे। बताय जा रहा है कि पहली किश्त में 100 और इसके बाद हर महीने 25-25 फाइलों को सार्वजनिक किया जाएगा। लेकिन उससे पहले ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री को पंडित जवाहरलाल नेहरू की लिखी वो चिट्ठी सार्वजनिक हो गई है जिसमें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को वॉर क्रिमिनल मतलब युद्ध अपराधी लिखा गया है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी द्वारा आज जारी किए जाने वाले दस्तावेजों में एक चिट्ठी ऐसी भी है जो जवाहर लाल नेहरू ने इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली को लिखी थी। इस चिट्ठी में नेहरू ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को वॉर क्रिमिनल लिखा था।

नई दिल्ली: विकलांग लोगों के कई संगठनों ने समुदाय को संबोधित करने के लिए 'दिव्यांग' शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी से 'विकलांग' शब्द की जगह इसका इस्तेमाल ना करने की अपील की। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल 27 दिसंबर को अपने रेडियो संबोधन 'मन की बात' में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक 'दिव्य क्षमता' है और उनके लिए 'विकलांग' शब्द की जगह 'दिव्यांग' शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। संगठनों ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा, 'हालांकि इस अभिव्यक्ति को गढ़ने के पीछे की मंशा पर सवाल ना करते हुए, यह कहना बेमानी होगा कि केवल शब्दावली बदलने से विकलांगों के साथ होने वाले व्यवहार के तरीके में कोई बदलाव आएगा।

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