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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चंद्रयान-3 की सफलता पर इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ को पत्र लिखकर बधाई दी है। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के वक़्त कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित इसरो के कंट्रोल सेंटर पर मौजूद सूबे के मुख्यमंत्री (सीएम) सिद्धारमैया ने चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ समेत वहां मौजूद सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
सोनिया गांधी ने इसरो चीफ सोमनाथ को लिखे पत्र में कहा, "मैं आपको अवगत कराना चाहती हूं कि बीती शाम इसरो द्वारा हासिल की शानदार उपलब्धि से मैं बहुत प्रसन्न हुई। यह सभी भारतवासियों, खासकर युवाओं के लिए गर्व और उत्साह का विषय है।" उन्होंने कहा, "बीते कई दशकों से इसरो की शानदार क्षमताओं का निर्माण हुआ है। इसके पास हमेशा बेहतरीन नेतृत्वकर्ता रहे और सामूहिक प्रयास की भावना रही, जिसने इसे (इसरो) हमेशा आगे बढ़ाया। " सोनिया गांधी के अनुसार, "इसरो 1960 के दशक से आत्मनिर्भरता के आधार पर आगे बढ़ा, जिसका इसकी सफलता में बड़ा योगदान रहा।"
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बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एस.सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की सफलता पर खुशी व्यक्त करते हुए इसका श्रेय वैज्ञानिकों को दिया, जिन्होंने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए बेहद कष्ट और पीड़ा सही। इसरो चीफ ने कहा कि आने वाले वर्षों में इसरो का यान इसी तरह मंगल ग्रह पर उतरेगा।
एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता इसरो नेतृत्व और वैज्ञानिकों की पीढ़ियों की मेहनत का नतीजा है और यह सफलता ‘बहुत बड़ी' और ‘प्रोत्साहित करने वाली' है। उन्होंने कहा कि चंद्रमा की यात्रा कठिन है और प्रौद्योगिकी क्षमता हासिल करने के बावजूद आज किसी भी देश के लिए किसी खगोलीय पिंड पर यान को सफलतापूर्वक उतारना मुश्किल कार्य है।
इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत ने यह सफलता केवल दो मिशन में हासिल कर ली है। चंद्रमा पर यान उतारने की पहली कोशिश मिशन चंद्रयान-2, अंतिम समय में असफल रहा था, जबकि चंद्रयान-3 मिशन पूरी तरह से सफल हुआ। चंद्रयान-1 का उद्देश्य केवल मानव रहित अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करना था।
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नई दिल्ली: भारत ने दुनिया में इतिहास रच दिया है. चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है. ऐसा करके भारत चांद के साउथ पोल पर स्पेसक्राफ्ट उतारने वाला पहला देश बन गया है। जबकि चांद के किसी भी हिस्से में सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश है। भारत से पहले अमेरिका, सोवियत संघ (अभी रूस) और चीन ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाए हैं।
चंद्रयान-3 का लैंडर बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर उतरा था. इसके दो घंटे और 26 मिनट बाद रोवर भी लैंडर से बाहर आ गया। रोवर छह पहियों वाला रोबोट है। ये चांद की सतह पर चलेगा। इसके पहियों में अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप है। जैसे-जैसे रोवर चांद की सतह पर चलेगा, वैसे-वैसे अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छपती चली जाएगी।
चंद्रयान-3 के लैंडिंग की शुरुआत 5 बजकर 30 मिनट पर हुई। रफ लैंडिंग बेहद कामयाब रही। इसके बाद 5 बजकर 44 मिनट पर लैंडर ने वर्टिकल लैंडिग की। तब चंद्रयान-3 की चंद्रमा से दूरी 3 किमी रह गई थी। इसके 20 मिनट में चंद्रमा की अंतिम कक्षा से चंद्रयान-3 ने 25 किमी का सफर पूरा किया।
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बंगलूरू: चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत ने आज इतिहास रच दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल सफलता पूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया। लैंडर विक्रमऔर रोवर प्रज्ञान से युक्त लैंडर मॉड्यूल ने शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की और इतिहास रच दिया। इसके साथ ही पीएम मोदी दक्षिण अफ्रीका से इस मिशन में वर्चुअली जुड़े। पीएम ने देशवासियों को बधाई दी।
इस सफलता के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग' कर चुके हैं, हालांकि इनमें से कोई भी देश ऐसा नहीं है जिसकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में हुई है। चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट लगे. चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.30 बजे लॉन्च किया गया था।
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