नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) की आज संसद भवन एनेक्सी में बैठक हुई। बताया गया कि जेपीसी की ये बैठक करीब छह घंटे तक चली। बैठक में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने एक प्रस्तुति भी दी। इस बैठक के दौरान कई बार तीखी नोकझोंक भी हुई, इसके बावजूद कई दलों के सदस्य विधेयक के प्रावधानों पर अपने विचार दर्ज करते रहे, सुझाव के साथ स्पष्टीकरण भी मांगते रहे।
विपक्षी सांसदों ने बैठक में उठाए ये मुद्दे
इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी, आप सांसद संजय सिंह, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी और डीएमके सांसद ए राजा ने अन्य सदस्यों ने कलेक्टर को अधिक अधिकार देने और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के कदम समेत कई खंडों की आवश्यकता पर भी सवाल उठाए। सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी सांसद बोले, 'यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता, समानता की स्वतंत्रता, अनुच्छेद 26 और कई अन्य कानूनों का पूर्ण उल्लंघन है।'
30 अगस्त को होगी जेपीसी की अगली बैठक
सूत्रों की मानें तो जेपीसी की बैठक में अधिकतर सदस्य अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रेजेंटेशन से असंतुष्ट नजर आए। विपक्ष के सदस्यों ने बैठक में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि मंत्रालय के प्रतिनिधि खुद तैयारी से नहीं आए हैं और बातों को समझा भी नही पा रहे हैं। एक सदस्य ने जानकारी देते हुए कहा कि समिति की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी।
जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में हुई बैठक
बता दें कि भाजपा सदस्य जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति को लोकसभा से विवादास्पद विधेयक की जांच करने का काम सौंपा गया है। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस पर विरोध जताया है। यह विधेयक भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की पहली बड़ी पहल है जिसका उद्देश्य एक केंद्रीकृत पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार करना है। इसमें कई सुधारों का प्रस्ताव है, जिसमें राज्य वक्फ बोर्डों के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों को प्रतिनिधित्व देने वाली एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना भी शामिल है।
लोकसभा में यह विधेयक 8 अगस्त को पेश किया गया था और गरमागरम बहस के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति को भेज दिया गया। सरकार ने जोर देकर कहा था कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं है, जबकि विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाना और संविधान पर हमला बताया था।