नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने सशस्त्र सीमा बल के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी को अगले आदेश तक सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक (डीजी) पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। यह कदम बीएसएफ डीजी नितिन अग्रवाल को उनके राज्य कैडर में वापस भेजे जाने के एक दिन बाद उठाया गया है। 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी दलजीत सिंह ने इस साल जनवरी में सशस्त्र सीमा बल के महानिदेशक के तौर पर पदभार संभाला था। केंद्र सरकार ने 19 जनवरी को उन्हें एसएसबी का महानिदेशक नियुक्त किया था।
जम्मू सेक्टर में घुसपैठ बढ़ने के कारण लिया गया एक्शन
गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बीएसएफ के दो अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें उनके पदों से हटा दिया था। डीजी बीएसएफ नितिन अग्रवाल को डीजी पद से कार्यमुक्त किया गया। उन्हें मूल कैडर यानि केरल कैडर में वापस भेज दिया गया। वहीं, स्पेशल डीजी वाईबी खुरानिया को भी हटाकर उन्हें भी ओडिशा कैडर में वापस भेज दिया गया।
हालांकि सरकार ने अचानक केरल कैडर में वापसी के बारे में कुछ नहीं कहा है, लेकिन माना जा रहा है कि जम्मू सेक्टर में घुसपैठ बढ़ने के कारण नितिन अग्रवाल को बीएसएफ प्रभार से मुक्त किया गया है। जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी के कुछ हिस्सों की सुरक्षा बीएसएफ करती है।
ओडिशा कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी खुरानिया, अरुण सारंगी की जगह ओडिशा के नए शीर्ष पुलिस अधिकारी होंगे। उन्हें वापस ओडिशा भेजने का फैसला जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी घटनाओं के मद्देनजर बीएसएफ के सामने चुनौतियों के मद्देनजर लिया गया है।
अग्रवाल ने पिछले साल जून में सीमा सुरक्षा बल के प्रमुख का कार्यभार संभाला था। वहीं, विशेष डीजी (पश्चिम) के रूप में खुरानिया पाकिस्तान सीमा पर बल का नेतृत्व कर रहे थे। नियुक्ति संबंधी कैबिनेट समिति (एसीसी) ने अलग-अलग जारी आदेशों में कहा कि उन्हें 'तत्काल प्रभाव से और समय से पहले' वापस भेजा जा रहा है। करीब 2.65 लाख कर्मियों वाले सुरक्षा बल बीएसएफ पर पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्व में बांग्लादेश के साथ लगने वाली भारतीय सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी है।
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के दो अफसरों को वापस राज्य कैडर में भेजने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब बीएसएफ के नियंत्रण वाली भारत-पाकिस्तान सीमा के करीब जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इस साल ही राजौरी, पुंछ, रियासी, उधमपुर, कठुआ और डोडा जिले में 22 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 11 सुरक्षाबलों के जवान हैं। हालांकि, सीमा पर सुरक्षा के लिए तैनात बीएसएफ ने घुसपैठ की किसी भी घटना से इनकार किया है।