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नई दिल्ली: वायनाड में हुई भूस्खलन की घटना के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने पश्चिमी घाट में माइनिंग के कार्यों पर रोक लगा दिया है। केरल में लैंडस्लाइडिंग की त्रासदी के बाद माधव गाडगिल समिति की रिपोर्ट सामने आयी थी। इस रिपोर्ट में माइनिंग पर रोक की बात कही गयी थी। केंद्र सरकार ने न सिर्फ केरल में बल्कि वेस्टर्न घाट के 6 राज्यों में माइनिंग गतिविधियों पर रोक लगा दी है। सरकार के आदेश में 56 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में माइनिंग की गतिविधियों पर रोक की बात कही गयी है।

पश्चिमी घाट या वेस्टर्न घाट है क्या?

केरल के वायनाड में पारिस्थितिकीय रूप से कमजोर क्षेत्र में भूस्खलन हुआ। इससे पश्चिमी घाट को पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र के रूप में अधिसूचित करने में सरकारों की विफलता फिर सामने आ गई है। पश्चिमी घाट के छह राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में फैला है। इस 1500 किलोमीटर लंबे पश्चिमी घाट के इलाके में पश्चिमी तट पर संरक्षित क्षेत्र और विश्व धरोहर स्थल भी हैं।

देश में पश्चिमी घाट हिमालय के बाद सबसे अधिक भूस्खलन संवेदी क्षेत्र है।

वनों का विनाश रोकना जरूरी

पश्चिमी घाट का प्रस्तावित इकोलॉजिकल सेंसिटिव एरिया 56,825 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इस इलाके में प्रदूषण बढ़ाने वाली गतिविधियों को रोकने और वनों की कटाई बंद करने की जरूरत है। पश्चिमी घाट में कर्नाटक का 20,668 वर्ग किलोमीटर, महाराष्ट्र का 17,340, केरल का 9,993, तमिलनाडु का 6,914, गोवा का 1,461 और गुजरात का 449 वर्ग किलोमीटर इलाका है।

गाडगिल समिति ने कई साल पहले चेताया था

केरल में लैंडस्लाइडिंग की त्रासदी के बाद माधव गाडगिल समिति की रिपोर्ट पर भी फिर से चर्चा होने लगी है। कहा जा रहा है कि यदि राज्य सरकारों ने गाडगिल समिति की रिपोर्ट में शामिल सिफारिशों को माना होता तो इस प्राकृतिक त्रासदी से बचा जा सकता था। गाडगिल समिति या पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल (डब्ल्यूजीईईपी) केंद्र सरकार ने सन 2010 में गठित की थी। इकोलॉजिस्ट माधव गाडगिल इस समिति के अध्यक्ष थे। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में पश्चिमी घाट को बहुत संवेदनशील बताया था और इस इलाके में भीषण त्रासदियों की आशंका को लेकर चेताया भी था।

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