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'हाईकोर्ट के आदेश तक ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई न करे': सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: राजद्रोह की धारा 124 ए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सीजेआई ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए पांच जजों की बेंच बनाने की बात कही। साथ ही केंद्र सरकार की मांग को ठुकरा दिया। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि अदालत तय करे कि क्या इस मामले को संविधान पीठ में भेजना चाहती है। अटॉर्नी जनरल आर वेकेंटरमणी ने कहा था कि एक नया कानून लंबित है, तो सीजेआई ने पूछा कि इसमें क्या कहा गया है। सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा, यह तो और बुरा है।

सीजेआई ने यह माना कि कानून लागू हो जाता है तो ये भविष्य के मामलों को कवर करेगा। उन्होंने कहा कि जहां तक 124ए से संबंधित हैं वो केस जारी रहेंगे। इसके लिए हमें पांच जजों की संविधान पीठ बनानी होगी। इसके साथ ही सीजेआई ने कहा कि यह संवैधानिकता को कायम रखने वाले फैसले का मामला है। केदारनाथ मामले में पांच जजों ने राजद्रोह को बरकरार रखा था, तो क्या 3 जजों की बेंच फैसला पलट सकती है। उन्होंने कहा कि जब तक केदारनाथ फैसला लागू है, राजद्रोह का कानून वैद्य है।

सीजेआई बोले- फैसला तो करना ही है

सीजेआई ने कहा कि ये बात अलग है कि सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर अंतरिम रोक लगाई है, लेकिन इस कानून पर फैसला तो करना ही है। वहीं सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि आप जो फैसला करेंगे उसका नए कानून पर असर पड़ेगा। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जल्दबाजी न करें। क्या यह इंतजार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि दूसरी सरकार के पास बदलाव का मौका था, लेकिन वे चूक गए। ये सरकार सुधार के दौर में है। वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि ये कोई और भी ड्रैकेनियन है।

राजद्रोह की धारा 124 ए पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजआई ने कहा कि नए कानून का पूर्वप्रभावी प्रभाव नहीं हो सकता, इसलिए हमें यह फैसला लेना होगा कि लंबित मुकदमों का क्या होगा। इसलिए हम धारा 124ए की संवैधानिकता का परीक्षण नहीं कर सकते। कोर्ट में अपनी दलील देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले को सात जजों के संविधान पीठ को भेजा जाए। वहीं तुषार मेहता ने कहा कि उच्चतम स्तर पर इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है और यह अब हो गया है। लेकिन सरकार ने कहा कि सभी पक्षों से बात कर ली जाए। इस संदर्भ में इंतजार किया जाए। उच्चतम स्तर पर इस पर पुनर्विचार किया जा रहा है। अब इस पर पुनर्विचार किया गया है कि क्या नए कानून के लागू होने तक इंतजार करना उचित नहीं होगा। विधायिका के फैसले का इंतजार करना चाहिए।

इंतजार नहीं कर सकते, नया कानून ज्यादा कठोर: सिब्बल

वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि अब इंतजार की जरूरत नहीं है। पहले भी सरकार कह रही थी कि राजद्रोह पर आप सुनवाई ना करें इस पर सरकार विचार कर रही है। कपिल सिब्बल ने कहा कि हम इस पर संसद के कानून बनाने का इंतजार नहीं कर सकते। नया कानून कहीं अधिक कठोर है। बता दें कि इस कानून को लेकर पिछले साल मई में सुनवाई हुई थी उस समय कोर्ट ने कानून की समीक्षा करने के लिए केंद्र सरकार को समय दिया था। उस वक्त कोर्ट ने भी कहा था कि पहले धारा 124ए के तहत नए केस दर्ज नहीं किए जाएं। पेंडिंग केस में भी कोर्ट की कार्यवाही को रोक दिया जाए। अब सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं पर सीजेआई ने सुनवाई की।

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