नई दिल्ली: संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को जवाबी पत्र लिखा है। पत्र में लिखा गया कि परंपराओं का पालन करते हुए ही संसद के विशेष सत्र को बुलाया गया है, शायद आपका परंपराओं की ओर ध्यान नहीं है। संसद सत्र बुलाने से पहले ना कभी राजनीतिक दलों से चर्चा की जाती है और न कभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है। महामहिम राष्ट्रपति के सत्र बुलाने के बाद और सत्र शुरू होने से पहले सभी दलों के नेताओं की बैठक होती है, जिसमें संसद में उठने वाले मुद्दों और कामकाज पर चर्चा होती है।
प्रह्लाद जोशी ने विशेष सत्र पर सोनिया गांधी के पत्र और आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष से सत्र शुरू होने के बाद सरकार एजेंडे पर चर्चा करती है। इसको लेकर नकारात्मक राजनीति नहीं करनी चाहिए। सत्र परंपरा के अनुसार ही बुलाया गया है। बता दें कि कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि संसद के विशेष सत्र के दौरान देश की आर्थिक स्थिति, जातीय जनगणना और चीन के साथ सीमा पर गतिरोध समेत नौ मुद्दों पर उचित नियमों के तहत चर्चा कराई जाए।
उन्होंने पत्र में कहा, 'मैं इस बात का उल्लेख करना चाहूंगी कि संसद का विशेष सत्र राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श किए बिना बुला लिया गया। इस सत्र के एजेंडे के बारे में हमें जानकारी नहीं है।"
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने पत्र में कहा कि देश की आर्थिक स्थिति, किसान संगठनों के साथ समझौते, जातीय जनगणना कराने की मांग, संघीय ढांचे पर हमले, प्राकृतिक आपदा के प्रभाव, चीन के साथ सीमा पर तनाव, देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव और मणिपुर के मुद्दे पर विशेष सत्र में चर्चा की जाए।
सोनिया गांधी ने कहा, 'रचनात्मक सहयोग की भावना के तहत मैं आशा करती हूं कि संसद के आगामी सत्र में इन विषयों पर चर्चा कराई जाएगी।'