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नई दिल्ली: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर संसद के विशेष सत्र का एजेंडा पूछा है। सोनिया गांधी ने इस पर भी सवाल उठाया कि बिना किसी चर्चा के विशेष सत्र का एलान क्यों किया गया। उनकी अध्यक्षता में मंगलवार (5 सितंबर) को कांग्रेस की बैठक हुई और फिर आईएनडीआईए गठबंधन के दलों के सांसदों के साथ मीटिंग हुई। सत्र में विपक्ष किन मुद्दों को उठाने जा रहा है, इसे लेकर बैठक में चर्चा हुई। बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि बैठक में कांग्रेस संसदीय दल का रणनीति समूह शामिल हुआ था। इसके बाद आईएनडीआईए गठबंधन के दलों के सांसदों की बैठक हुई। उन्होंने बताया कि बैठक में तय हुआ कि विपक्ष सदन का बहिष्कार नहीं करेगा, बल्कि लोगों के मुद्दों को उठाएगा।

जयराम रमेश ने बताया कि 6 सितंबर की सुबह सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा और कहा कि कोई चर्चा किए बिना ही संसद का विशेष सत्र बुलाने का एलान कर दिया गया। पत्र में यह भी लिखा गया कि विशेष सत्र की कार्यसूची जारी की जाती है और ऐसा पहली बार है कि कार्यसूची जारी नहीं की गई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

चिट्ठी में क्या बोलीं सोनिया गांधी?

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन मुद्दों का भी जिक्र किया, जो पार्टी विशेष सत्र में उठाना चाहती है। सोनिया गांधी ने मांग की है कि इन मुद्दों पर चर्चा हो। केवल सरकारी एजेंडे पर बात नहीं होनी चाहिए। 18 से 22 सितंबर के लिए सदन का विशेष सत्र बुलाया गया है। नीचे दिए गए मुद्दों को उठाएगी कांग्रेस-

मौजूदा आर्थिक स्थिति पर चर्चा: कमरतोड़ मंहगाई, बेरोजगारी, एमएसएमई उद्योग की परेशानी।

किसानों को एमएसपी की मांग: किसान आंदोलन के समय एमएसपी की कानूनी गारंटी का वादा किया गया था, इस पर चर्चा।

अडानी पर जेपीसी : अडानी समूह को लेकर कथित खुलासों और समूह के मोदी सरकार से कथित रिश्तों पर चर्चा और जेपीसी के गठन की मांग.

जातीय जनगणना: जातीय जनगणना तो दूर जनगणना तक नहीं हुई. जनगणना जरूरी साथ ही जातीय जनगणना की मांग।

संघीय ढांचे पर हमला : रणनीति के तहत गैर बीजेपी शासित राज्यों को परेशान किया जा रहा है. केंद्र- राज्य संबंधों पर चर्चा हो।

प्राकृतिक आपदा : कई राज्यों में अत्यधिक बारिश और सूखे की मार पड़ी है लेकिन केंद्र सरकार ने आपदा घोषित नहीं किया है. इस पर चर्चा होनी चाहिए।

चीन का मुद्दा: चीनी घुसपैठ पर तीन सालों से चर्चा नहीं हुई। इस पर सामूहिक संकल्प लिया जाए।

सांप्रदायिक तनाव: हरियाणा समेत अलग अलग राज्यों में भय और चिंता का माहौल है। इस पर चर्चा होनी चाहिए।

मणिपुर का मुद्दा: चार महीने बाद भी मणिपुर में हिंसा जारी है। इंफाल में अगले पांच दिनों तक कर्फ्यू लगाया गया है। इस पर चर्चा जरूरी है।

इंडिया या भारत नाम विवाद पर भी बोले जयराम रमेश

प्रेस कांफ्रेंस में जयराम रमेश ने इंडिया या भारत नाम विवाद पर कहा, 'संविधान में लिखा है इंडिया दैट इज भारत .. इस पर कोई बहस नहीं होनी चाहिए। पीएम में ना केवल घबराहट दिखाई दे रही है बल्कि थकावट भी दिख रही है। इंडिया गठबंधन की तीन बैठकों के बाद पीएम और उनके रणनीतिकार घबरा गए हैं।'

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