नई दिल्ली: 2018 को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता मोहम्मद अकबर लोन ने कथित तौर पर 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाया था। इस बड़े विवाद के पांच साल बाद सु्प्रीम कोर्ट ने सोमवार को मोहम्मद अकबर लोन से भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेने और देश की संप्रभुता को स्वीकार करने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
'पाकिस्तान जिंदाबाद' नारे लगाने के लिए मांगे माफी
तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले मुख्य याचिकाकर्ता लोन मंगलवार तक हलफनामा दाखिल करेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ को इसकी जानकारी दी। वरिष्ठ वकील ने कहा कि अगर लोन पीठ द्वारा मांगे गए हलफनामे को दाखिल नहीं करते हैं तो वह उनका प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे। लोन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलील पेश की और कहा, 'वह लोकसभा के सांसद हैं। वह भारत के नागरिक हैं और उन्होंने संविधान द्वारा अपने पद की शपथ ली है।
सिब्बल ने कहा कि वह भारत की संप्रभुता को स्वीकार करते हैं। वहीं, इससे एक दिन पहले केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार चाहती है कि लोन 'पाकिस्तान जिंदाबाद' (पाकिस्तान लंबे समय तक जीवित रहें) का नारा लगाने के लिए माफी मांगें।
लोन पर अलगाववादी ताकतों के समर्थक होने का दावा
लॉ ऑफिसर ने कहा कि लोन को यह मानना होगा कि वह संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं और सदन में नारा लगाने के लिए वह माफी मांगते हैं। 1 सितंबर को, एक कश्मीरी पंडित समूह ने शीर्ष अदालत में लोन की साख पर सवाल उठाते हुए दावा किया था कि वह अलगाववादी ताकतों के समर्थक थे।
शीर्ष अदालत में एक हस्तक्षेप आवेदन एक गैर सरकारी संगठन 'रूट्स इन कश्मीर' द्वारा दायर किया गया है। बता दें कि रूट्स इन कश्मीर, खुद को कश्मीरी पंडित युवाओं का एक समूह होने का दावा करता है। इन्होंने कुछ अतिरिक्त दस्तावेजों और तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाने की मांग की है। साथ ही आरोप लगाया गया है कि लोन को 'जम्मू-कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी ताकतों के समर्थक के रूप में जाना जाता है, जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं।'