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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): चंद्रयान-3 के जरिए भारत बुधवार को इतिहास रचने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग के वक्त इस बार इसरो से वर्चुअली जुड़ सकेंगे। पीएम इस वक्त 22 से 24 अगस्त तक आयोजित होने वाले 15वें ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका में हैं। आपको याद दिला दें कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग के वक्त पीएम मोदी मौके पर मौजूद थे और मिशन के फेल होने के बाद वैज्ञानिकों से अलग से मुलाकात करके उन्हें सांत्वना भी दी थी।

चंद्रयान-3 के लैंडर के बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र को छूने की उम्मीद है। सफल होने पर भारत- अमेरिका, रूस और चीन के साथ ये उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने देश के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-3 द्वारा 70 किलोमीटर की दूरी से ली गई चंद्रमा की और तस्वीरें साझा की हैं। ये तस्वीरें बुधवार को ऐतिहासिक टचडाउन के दौरान लैंडर का मार्गदर्शन करने वाले कैमरे से ली गई थीं।

इसरो ने बताया, ये तस्वीरें शनिवार को लैंडर पोज़ीशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) द्वारा लगभग 70 किमी की ऊंचाई से ली गईं। इसरो ने कहा, कैमरा लैंडर मॉड्यूल को ऑनबोर्ड चंद्रमा संदर्भ मानचित्र के साथ मिलान कर उसकी स्थिति निर्धारित करने में मदद करता है। इसमें कहा गया कि लैंडिंग ऑपरेशन का सीधा प्रसारण बुधवार शाम 5:20 बजे शुरू होगा।

चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद चंद्रमा पर एक रोवर तैनात करने और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अध्ययन करने की योजना है। विक्रम लैंडर जिसके अंदर एक रोवर है, 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।

चंद्रयान-2 से सबक लेकर चंद्रयान-3 में कई सुधार किए गए हैं। लक्षित लैंडिंग क्षेत्र को 4.2 किलोमीटर लंबाई और 2.5 किलोमीटर चौड़ाई तक बढ़ा दिया गया है। चंद्रयान-3 में लेजर डॉपलर वेलोसिमीटर के साथ चार इंजन भी हैं, जिसका मतलब है कि वह चंद्रमा पर उतरने के सभी चरणों में अपनी ऊंचाई और अभिविन्यास को नियंत्रित कर सकता है।

 

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