नई दिल्ली: चंद्रयान 3 मिशन ने सफलतापूर्वक अंतिम डीबूस्टिंग चरण पूरा कर लिया है। जिसके बाद चंद्रयान-3 की चांद की सतह से दूरी महज 25 किलोमीटर रह गई है। इसरो ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। इसरो ने बताया कि अब लैंडर मॉड्यूल की आंतरिक जांच की जाएगी और चांद पर उतरने की तय साइट पर अब बस सूरज के निकलने का इंतजार किया जा रहा है।
इसरो ने बताया कि लैंडर मॉड्यूल 23 अगस्त 2023 को शाम करीब 5.45 बजे चांद की सतह पर उतर सकता है।
सूरज निकलने का क्यों हो रहा इंतजार
चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। अभी चांद पर रात है और 23 अगस्त को सूरज निकलेगा। यही वजह है कि दिन की रोशनी में ही लैंडर चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा ताकि रोवर बेहतर तरीके से वहां रिसर्च कर सके और बेहतर तस्वीरें भेज सके। भारत का चंद्रयान-3 मिशन चांद की सतह पर पानी की खोज करेगा, साथ ही चांद पर रसायनिक विश्लेषण भी करेगा।
रूसी मिशन से है मुकाबला
चांद की सतह पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के साथ ही इसरो इतिहास रच देगा। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 के साथ ही रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट भी चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा। लूना-25 को 21 अगस्त को चांद की सतह पर लैंडिंग करनी है लेकिन फिलहाल रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने बताया है कि लूना-25 में कुछ तकनीकी खराबी आ गई है। ऐसे में लूना-25 को चांद की सतह पर उतरने में परेशानी हो सकती है।
बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन का बजट करीब 615 करोड़ रुपये का है। इसरो चेयरमैन ने बताया कि चंद्रयान के लैंडर मॉड्यूल को चांद पर लैंड कराने में सबसे बड़ी चुनौती उसे लैंडिंग से पहले मोड़ना है। उन्होंने बताया कि जब लैंडर चांद की सतह पर लैंड करने के लिए उतरेगा तो वह क्षैतिज अवस्था में होगा लेकिन उसे लैंडिंग से पहले 90 डिग्री सेल्सियस पर मोड़कर लंबवत करना होगा। अगर यह सफलतापूर्वक हो गया लैंडर की चांद पर सफल लैंडिंग के चांस बढ़ जाएंगे।