नई दिल्ली: अमेरिका ने मणिपुर हिंसा से निपटने के लिए भारत का सहयोग करने का प्रस्ताव दिया है। ऐसे में कांग्रेस को केंद्र सरकार पर हमला करने का एक मौका मिल गया है। कांग्रेस ने मणिपुर की स्थिति को लेकर अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी द्वारा कथित तौर पर की गई टिप्पणी को लेकर पूछा कि क्या गार्सेटी को तलब कर विदेश मंत्री एस जयशंकर यह कहेंगे कि मणिपुर के मामले में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है।
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि मणिपुर का मामला भारत की अंदरूनी चुनौती है और इससे भारत के लोगों को ही संवेदनशीलता और दृढ़ता से निपटना होगा।
जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "क्या विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिकी राजदूत को तलब करके उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहेंगे कि मणिपुर मामले में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है? मणिपुर में शांति और सद्भाव वापस लाने की जिम्मेदारी विशेष रूप से केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सिविल सोसाइटी और राज्य के राजनीतिक दलों की है।" रमेश ने कहा, "प्रधानमंत्री चुप हैं और गृहमंत्री निष्फल रहे हैं।
उन्होंने कहा, इसका मतलब यह नहीं है कि यहां किसी अन्य देश के लिए कोई अवसर है। यह भारत की चुनौती है और इससे हम भारतीयों को ही संवेदनशीलता और दृढ़ता से निपटना होगा।"
खबरों के मुताबिक, गार्सेटी ने बृहस्पतिवार को कोलकाता में कहा था कि मणिपुर में हिंसा और हत्या ‘मानवीय चिंता' का विषय हैं और अगर अमेरिका से कहा जाता है, तो वह स्थिति से निपटने के लिए भारत का सहयोग करने को तैयार है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि अतीत में भारत के आंतरिक मामलों पर किसी अमेरिकी राजदूत की ओर से ऐसी टिप्पणी नहीं सुनी गई जैसी अमेरिका के वर्तमान राजदूत एरिक गार्सेटी ने मणिपुर की स्थिति को लेकर कथित तौर पर की है।
मणिपुर में ऐसी भड़की हिंसा
बता दें कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच झड़पों में 120 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। पहली बार हिंसा तीन मई को तब भड़की जब मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नगा और कुकी आबादी का हिस्सा 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।