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(आशु सक्सेना) 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी भाजपा को हराने के लिये विपक्ष एकजुट होने लगा है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है कि उत्तर प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों में कांग्रेस, सपा, बसपा और आरएलडी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ चारों दलों में साथ मिलकर लड़ने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। हालांकि सीट बंटवारे पर अभी अंतिम फ़ैसला नहीं हुआ है। विपक्ष की इस एकजुटता की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति व्यक्त करना हैं।

इस सूबे से वर्तमान में कांग्रेस के खाते में दो सीट हैं। इन दोनों ही सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार नही उतारे थे। बहरहाल, विपक्ष की इस एकता को पुख्ता करने की दिशा में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों को सेमी फाइनल मैच के तौर पर खेलने पर भी सहमति बन गई है। हांलाकि इन राज्यों में सपा, बसपा और आरएलडी का कोई खास बजूद नही हैं। लेकिन चुनावी अंकगणित के मुताबिक इन दलों के एकजुट होने से ना सिर्फ मतों का अंतराल कम होगा, बल्कि कांग्रेस समेत अन्य सभी दल पहले से कुछ ज़्यादा सीटों को जीतने में भी कामयाब हो सकते हैं।

आजादी के बाद से अब तक राजनीतिक गलियारों में हमेशा से ही यह बात कही जाती रही है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर ही जाता है। सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है और यहां पर लोकसभा की 80 सीटें हैं। 2014 के चुनाव में भाजपा की अगुवाई में एनडीए को 73 सीटें मिली थीं, जिसमें अकेले भाजपा ने 71 सीटें जीती थीं। इनमें पीएम मोदी की वाराणसी सीट भी शामिल है।

विधानसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्यशित जीत के बाद विपक्ष ने लामबंद होना शुरू किया। जिसका नतीता यह रहा कि लोकसभा और विधानसभा के उप चुनाव में भाजपा को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री योगी और उप मुख्यमंत्री मोर्या की लोकसभा सीट भाजपा हार गई। गोरखपुर-फूलपुर और कैराना में हुये उपचुनाव में इन दलों की एकता ने भाजपा को हराने में कामयाबी पाई थी। इसमें गोरखपुर सीट पर भाजपा की हार सबसे सपा-बीएसपी गठबंधन की सबसे बड़ी जीत थी। इस जीत के बाद सीएम योगी के खिलाफ जनादेश का संकेत मिल गया है।

यूपी में मौटे तौर पर यह सहमति बन गई है कि 65 सीटों पर सपा-बीएसपी की दावेदारी रहेगी और बाकी 15 सीट कांग्रेस और आरएलडी के खाते में जाएंगी। सीटों के बंटवारे को लेकर उम्मीदवार और पिछले चुनावों में मतों के प्रतिशत को आधार बनाया जा रहा है।

भाजपा के खिलाफ विपक्षी की एकता राज्य स्तर पर तय हो रही है। बिहार में कांग्रेस प्रमुख विपक्ष आरजेडी के साथ खड़ी है और वामदलों ने इस महागठबंधन के साथ चलने का फैसला किया है। विपक्षी एकता की कोशिश में जुटे एनसीपी नेता शरद पवार और बीएसपी प्रमुख मायावती के बीच पिछले ही हफ्ते एक मुलाकात हुई थी। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच बीएसपी की सीटों को लेकर चर्चा हुई है खास तौर पर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव को लेकर।

खबर है कि मध्य प्रदेश में बीएसपी ने कांग्रेस से 50 सीटों की मांग की है। लेकिन कांग्रेस ने उसे 22 सीटों का ऑफर दिया था और वह 30 से ज्यादा सीटों पर समझौता करने के लिये राजी नहीं है। इसके बाद से बात अटक गई है। वहीं बात करें उत्तर प्रदेश की तो कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिस फॉर्मूले की बात की जा रही है उस पर पार्टी में चर्चा करना अभी बाकी है। वहीं पार्टी ने झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु और केरल में पहले ही गठबंधन कर लिया है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि विपक्षी गठबंधन प्रधानमंत्री पद के लिए नही बल्कि सैद्धांतिक पर हो रहा है। लिहाजा कांग्रेस की कोशिश होगी की भाजपा विरोधी वोट के विखराव को कम करना। जिसका नमूना पार्टी ने कर्नाटक में भाजपा विरोधी पार्टी को सत्ता सौंप कर किया है।

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