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नई दिल्ली (आशु सक्सेना): लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही है। इस प्रस्ताव पर अगर सदन में मतदान हुआ, तो नतीजा मोदी सरकार के पक्ष में आना तय है, बहुमत का आंकड़ा भाजपा अपने बूते पर हासिल करने की स्थिति में है। सवाल यह है कि संसदीय कार्यमंत्री के दावे के मुताबिक एनडीए के पक्ष में 314 मत पड़ते हैं या इस संख्या में कमी होती है। यह कमी ही नैतिक रुप से मोदी सरकार हार को परिलक्षित करेगी। संसद में इस शक्ति परीक्षण के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव के मुद्दे और संभावित गठबंधन की तस्वीर भी काफी हद तक साफ हो जाएगी।

मोदी सरकार ने अप्रत्याशित रुप से मॉनसून सत्र की शुरुआत दिलचस्प ढ़ंग से करवाई है। सरकार ने चुनावी माहौल के बीच सत्र की शुरुआत अविश्वास प्रस्ताव की है। इस चर्चा का जबाव पीएम मोदी को देना है। समूचा विपक्ष पीएम मोदी से श्मशान-​कब्रिस्तान, मॉब लिंचिंग जैसे मुद्दों पर जबाव की मांग करेगा। इन मुद्दों पर संसद में पीएम मोदी के बयान पर सदन का मूड तैयार होगा। विपक्ष प्रस्ताव पर मतदान की स्थिति में उसके हश्र से वाकिफ़ है।

लिहाजा राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए विपक्ष मतदान पर ज़ोर ना देकर पीएम के बयान पर असंतोष जाहिर करके सदन से वॉक आउट करना बेहतर समझेगा। सूत्रों का कहना है कि दिन भर सदन में गरमागरम बहस के बाद पीएम मोदी के भाषण के दौरान सदन से वर्हिगमन विपक्ष की रणनीति का हिस्सा है।

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