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(आशु सक्सेना) संसद का आज से शुरु हुआ मॉनसून सत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा इम्तिहान है। पीएम मोदी के पहली पारी के निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक यह उनका आखिरी मॉनसून सत्र है। आपको याद दिला दें कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी ने पहली बार संसद भवन में प्रवेश किया था, तब उसके मुख्य द्वार पर माथा टेक कर कहा था कि वह लोकतंत्र के मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं। लोकतंत्र के इस मंदिर में चार साल गुजारने के बाद इन दिनों वह चुनावी रैलियों को संबोधित करने के सिलसिले को अंजाम दे चुके हैं। संसद सत्र शुरु होने से ठीक पहले पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में दो दिन का प्रवास और पच्छिम बंगाल में चुनावी बिगुल फूंका है।

यूपी में पीएम मोदी ने तीन तलाक बिल का मुद्दा उठाकर सांप्रदायिक माहौल को गरमाया है। वहीं बंगाल में उन्होंने दुर्गा पूजा का ज़िक्र करके हिंदु मतों की गोलबंदी का प्रयास किया है। अब सवाल यह है कि क्या पीएम मोदी मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष के मॉब लिंचिंग से लेकर किसानों तक के मुद्दे पर संसद में बोलने का साहस करेंगे। क्या वह देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों को लोकतंत्र के इस मंदिर से संबोधित करेंगें।

क्या पीएम मोदी संसद के पटल पर यह दर्ज करवाएंगे कि वह मुसलिम महिलाओं के हितैषी हैं और कांग्रेस मुसलिम पुरुषों की पार्टी है।

16 वीं लोकसभा का 15 वां सत्र आज बुधवार से शुरु हो चुका है। विपक्ष ने मॉनसून सत्र में पीएम मोदी को घेरने की रणनीति का अंजाम देना शुरू कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि अव्वल तो पीएम संवेदनशील मुद्दों पर चुप्पी साध लेते हैं, अगर गौहत्या के नाम पर पीट पीट कर हो रही हत्या पर बोलते हैं, तो संसद के बाहर बोलते हैं। यूं संसद के भीतर भी पीएम मोदी के बयान बयानों की आलोचना होती रही है।

पिछले दिनों पूर्व उप राष्टपति हामीद अंसारी ने कहा था कि उनके विदाई समारोह के वक्त पीएम मोदी का भाषण परंपराओं के अनुरुप नही था। जबकि राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में बाथरूम में रेन कोर्ट पहन कर नहाने वाले बयान पर हंगामा हो चुका है। पीएम मोदी देश से लेकर विदेशों तक अपनी बेवाक बोली के लिए मशहूर हैं। मॉनसून सत्र में क्या पीएम मोदी अपने चुनावी भाषणों को दोहराने का साहस करेंगे।

पिछले 50 महीने के मोदी कार्यकाल पर अगर निगाह डालें, तो साफ है कि संवेदनशील मुद्दों से पीएम मोदी कंन्नी काट जाते हैंं। सवाल यह है कि वह लोकतंत्र के इस मंदिर से देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामने अपना रिर्पोट काट पेश करेंगे।

आपको याद दिला दें कि 1014 के चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने 60 साल बनाम 60 महीने का नारा दिया था। लोकसभा चुनाव के लिए 2013 में शुरू किये चुनाव अभियान के दौरान भाजपा के स्टार प्रचारक मोदी ने कहा था कि उन्हें आपने 60 साल मौका दिया, हमें 60 महीने दें। अच्छे दिन आने वाले हैं। क्या पीएम मोदी 16 वीं लोकसभा के 15 वें सत्र में अपने कार्यकाल के 50 महीनों का ब्यौरा लोकतंत्र के मंदिर में पेश करेंगे। संभवत: पीएम मोदी यह साहस नही कर सकेंगे। आज़ादी की सालगिरह से पहले अगस्त में इस सत्र का समापन हो जाएगा।

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले अगले दो संसद सत्र सिर्फ रस्म अदायगी होगी। शीतकालीन सत्र भाजपा शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों की ख़ुमारी में गुजर जाएगा और 16 वीं लोकसभा का अंतिम 17 वां सत्र यानी बजट सत्र का मोदी सरकार की 2022 में देश की संभावित तस्वीर पेश करने की दावेदारी के साथ समापन हो जाएगा।

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