ताज़ा खबरें
लोकसभा चुनाव: 21 राज्यों की 102 सीटों पर थमा प्रचार, मतदान कल
प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के चैंपियन हैं, मुद्दों पर बात नहीं करते: राहुल गांधी
सलमान खान के घर फायरिंग केस: पुलिस ने दोनों आरोपियों को पकड़ा

मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को बैंक अधिकारियों के साथ मुलाकात की और नीतिगत ब्याज दर में कटौती के बाद बैंकों के कर्जों पर में कमी में देरी के कारणों पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक में हिस्सा लेने वाले एक अधिकारी ने कहा, "गवर्नर ने हमसे कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती के साथ ही ब्याज दर को कम किये जाने की जरूरत है ताकि ग्राहकों को इसका फायदा मिल सके।"

बैठक में शिरकत करने वाले एक अन्य अधिकारियों ने अधिक विवरण दिये बगैर कहा कि बैठक के दौरान मौद्रिक नीति को प्रभावी तरीके से लागू किये जाने पर चर्चा हुई। उल्लेखनीय है कि आरबीआई के नीतिगत दरों में कटौती के बावजूद बैंक उस लाभ को आम ऋणधारकों तक पहुंचाने में पीछे रहे हैं। वे इसके लिए बड़े पैमाने पर गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के लंबित होने और अन्य कारकों का हवाला देते रहे हैं।

आरबीआई के नीतिगत दरों में कटौती के बाद केवल भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने ब्याज दरों में कमी की है और वह भी कुछ श्रेणी के ऋण पर। इन बैंकों ने भी आरबीआई द्वारा दी गयी राहत का पांचवां हिस्सा ही लोगों तक पहुंचाया। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने सात फरवरी को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कमी कर इसे 6.25 प्रतिशत पर ला दिया।

एक बैक अधिकारी ने कहा, 'हमने गवर्नर से कहा कि सम्पत्ति और देनदारी समिति की अगली मासिक समीक्षा बैठक में हम कर्ज पर ब्याज में बदलाव पर विचार करेंगे। एक अन्य बैंक अधिकारी ने कहा कि आरबीआई विभिन्न मुद्दो पर चर्चा के लिए बैंकों के साथ एक और बैठक बुला सकता है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख