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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रियल स्टेट कंपनी आम्रपाली के सीएफओ को 4.5 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आम्रपाली से निवेशको के पैसों शेयर के जरिए दूसरी कंपनी जेपी मॉर्गन को भेजने के विषय मे जानकारी भी मांगी है। निवेशको ने कहा की जब यूनीटेक के मालिक जेल में है तो आम्रपाली के मालिक को होटल में क्यों रखा जा रहा है। मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा नियुक्त फोरेंसिक ऑडिटर ने जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ को बताया कि आम्रपाली ने करीब 1500 फ्लैट मिट्टी के दाम पर अपने जान पहचान के लोगों को बांट दिए। बड़ी संख्या में बोगस कंपनियां बनाई गई जिनमे डायरेक्टर जैसे ऊंचे पदों पर हेल्पर जैसे निचले स्तर के कर्मचारियों को रखा गया है। फोरेंसिक ऑडिटर ने कोर्ट को बताया कि आम्रपाली ने विदेशी फाइनेंस कंपनी के जरिये मॉरीशस से करोड़ो की रकम का हेरफेर किया।

कोर्ट ने इस पर कंपनी के भारत के प्रतिनिधि से जवाब तलब किया है। वहीं फ्लैटों के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा कि अब आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट के निर्माण का काम शुरू हो जाना चाहिए। 24 जनवरी को होने अगली सुनवाई में एनबीसीसी को बताना है कि किन प्रोजेक्ट का काम सबसे पहले शुरू किया जा सकता है।

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