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बीजिंग: विश्व की ताकतवर संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पुलवामा में आतंकी हमले के खिलाफ तल्ख बयान जारी करने पर चीन तिलमिला उठा है। दरअसल चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है और बृहस्पतिवार को पेश निंदा प्रस्ताव में जैश-ए-मोहम्मद की मजम्मत करने पर चीन उसमें से जैश का नाम हटवाना चाहता था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने जब जैश का नाम नहीं हटाया तो अब चीन कह रहा है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन का उस बयान में जिक्र कोई खास बात नहीं है और यह कोई फैसला भी नहीं है।

उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। उस घटना से पूरा देश आक्रोशित है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने बृहस्पतिवार को उस ‘कायरतापूर्ण जघन्य’ आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी। बयान में जैश-ए-मोहम्मद का उल्लेख करने पर पूछे गए सवाल पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि आतंकी हमले से संबंधित घटनाक्रम पर बीजिंग ने करीबी नजर रखी।

शुआंग ने कहा, ‘बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रेस स्टेटमेंट जारी किया था, जिसमें एक खास संगठन का सामान्य तौर पर जिक्र किया था। इसका मतलब यह हमले पर कोई फैसला नहीं था।’ दरअसल इस कवायद से चीन का मकसद अपने सहयोगी देश पाकिस्तान को खुश करना और जैश के अपराध को हलका करना था।

फ्रांस के प्रस्ताव पर चीन के रुख पर टिकी है दुनिया की नजर

दरअसल चीन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगवाने के भारत और अन्य देशों के प्रयासों में बार-बार अड़ंगा लगाता रहा है। अब पर्यवेक्षकों की नजरें फ्रांस के उस कदम पर टिकी है, जिसमें वह संयुक्त राष्ट्र में अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी की सूची में शामिल कराने का प्रस्ताव लाएगा। इस पर चीन के रुख से भारत के साथ उसके रिश्ते पर असर जरूर पड़ेगी। फ्रांस दरअसल सुरक्षा परिषद का एक स्थायी सदस्य है और उसने आधिकारिक रूप से मसूद अजहर को यूएन की आतंक विरोधी 1267 समिति में दर्ज कराने की घोषणा की है।

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